(वाशिंद्र मिश्रा) अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर लगभग 12 साल का रहा है !एक आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने के बाद अब लगता है कि विराम लगने वाला है
अभी तो प्रारंभिक तौर पर अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य के बारे में कोई भविष्यवाणी करना जल्द बाजी होगी! लेकिन आईटीआई एक्टिविस्ट से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक जिस तरह की राजनीति की शुरुआत और राजनीतिक संस्कृति अरविंद केजरीवाल ने शुरू की वह अपने आप में एक नया शोध का विषय हो सकता है! इंडिया अगेंस्ट करप्शन ट्रांसपेरेंसी इन गवर्नेंस politics of disruption कटर ईमानदार का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल आज खुद इस भ्रष्टाचार के दलदल में दिखाई दे रहे हैं जिसका विरोध करके उन्होंने समाज सेवी अन्ना हजारे के साथ एक जन आंदोलन खड़ा किया था!
यह अलग बात है की बाद में उन्होंने खुद अन्ना हजारे को अलग कर दिया और फिर एक-एक करके उन तमाम आम आदमी पार्टी के फाउंडर लीडर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया जिन्होंने दिन-रात मेहनत करके आम आदमी पार्टी बनाई थी सत्ता में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक में सभी अनैतिक और गंदे tarikon को अपनाया जिसके दम पर नेता लोग apni राजनीतिक सत्ता बचाए रखने की कोशिश में लगे रहते हैं
इसलिए उनकी गिरफ्तारी देर से ही सही लेकिन यह एक तय प्रक्रिया का हिस्सा है और इस तरह से कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल जिस ईमानदार छवि के दम पर इतने कम समय में देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे वह एक छलावा था ठीक उसी तरह से जैसे उनके पूर्व भर्ती राजनेताओं ने अपनी छवि बनाकर देश की जनता को लंबे समय तक गुमराह किया और सत्ता की मलाई खाते रहे भारत के राजनीतिक इतिहास में अरविंद केजरीवाल से पहले भी तमाम ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने झूठ fareb धोखाधड़ी के दम पर सत्ता हासिल की है लेकिन समय के साथ वक्त ने उनके साथ भी ठीक उसी तरह से न्याय किया था जिस तरह का न्याय अरविंद केजरीवाल के साथ होता दिखाई दे रहा है
अब मामला जांच एजेंसी और कोर्ट के बीच में है देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने भी अरविंद केजरीवाल और उनके साथी जाने की तैयारी में है लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है सभी दल अपने अपने प्रत्याशियों के चयन और उनके ऐलान में जुटे हुए हैं केजरीवाल की पार्टी भी दिल्ली पंजाब हरियाणा गुजरात गोवा और असम में अपना उम्मीदवार खड़ा करने वाली है केजरीवाल की ईमानदारी और बेईमानी का फैसला देश की सबसे बड़ी लोक अदालत में भी होने वाला है अब देखना है कि देश की अदालतों के अलावा लोक अदालत केजरीवाल के पक्ष में फैसला देती है या जांच एजेंसी के पक्ष में एजेंसी की दावों पर अगर भरोसा किया जाए तो केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली के कथित शराब घोटाले में शामिल होने के पर्याप्त सबूत है ऐसी स्थिति में अब अदालत को तय करना है की जांच एजेंसी के द्वारा जुटाए गए एविडेंस कितने प्रमाणिक हैं और कितने भरोसेमंद है, लेकिन एक बात तय है की दिल्ली के कथित शराब घोटाले में अब तक जिस तरह की गिरफ्तारियां हुई है उसके आधार पर कहा जा सकता है की जांच एजेंटीयों के एविडेंस प्रारंभिक तौर पर ज्यादा भरोसेमंद और प्रामाणिक प्रतीत होते हैं