अयोध्या, 8 अक्टूबर। अयोध्या के पवित्र सरयू तट पर सोमवार की संध्या एक अद्भुत और आध्यात्मिक दृश्य की साक्षी बनी, जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने श्रद्धा और विनम्रता के साथ मां सरयू की भव्य आरती में भाग लिया। सूर्यास्त की बेला में जब सरयू घाट दीपों की सुनहरी रोशनी से जगमगाने लगा, हवा में घुंघरू और शंख की पवित्र ध्वनियां गूंज उठीं, तब पूरा वातावरण भक्ति और शांति के रंग में रंग गया।
आरती शुरू होने से पहले घाट पर हजारों श्रद्धालु एकत्र हुए थे। हर ओर से “जय मां सरयू” और “हर हर महादेव” के जयघोष की गूंज सुनाई दे रही थी। इसी भावनात्मक माहौल में निर्मला सीतारमण अपने माता-पिता के साथ घाट पर पहुंचीं। पारंपरिक पोशाक में सादगी भरे अंदाज में उपस्थित हुईं सीतारमण ने मां सरयू के चरणों में प्रणाम किया और फिर आरती की थाली हाथ में लेकर दीप प्रज्ज्वलित किया।
जैसे ही आरती का आरंभ हुआ, घाट की सीढ़ियों पर रखे हजारों दीपों ने सरयू के जल पर प्रतिबिंब बनाते हुए एक स्वर्गिक दृश्य रच दिया। निर्मला सीतारमण ने श्रद्धापूर्वक दीपों का संचालन किया और मां सरयू के चरणों में दीप प्रवाहित किए। इस क्षण में उनका चेहरा भक्ति और भावनाओं से दैदीप्यमान हो उठा। उपस्थित लोगों ने भी उनके साथ मिलकर भजन और मंत्रोच्चार किया, जिससे पूरा सरयू तट एक दिव्य ऊर्जा से भर गया।
आरती के उपरांत वित्त मंत्री ने उपस्थित जनसमूह से संवाद करते हुए कहा कि “अयोध्या केवल एक नगर नहीं, यह भारत की आत्मा और आस्था का केंद्र है। यहां की हर धूल कण-कण में मर्यादा, संस्कृति और धर्म का संदेश समाहित है।” उन्होंने कहा कि सरयू तट की आरती आत्मिक शांति और राष्ट्र की एकता का प्रतीक है।
निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि अयोध्या आज केवल धार्मिक स्थल के रूप में नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और अध्यात्मिक जागरण के प्रतीक के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि यहां आकर उन्होंने भक्ति, विनम्रता और देश की आध्यात्मिक शक्ति को साक्षात अनुभव किया।
आरती में उपस्थित श्रद्धालुओं ने वित्त मंत्री का स्वागत करतल ध्वनि से किया। कई लोगों ने कहा कि उनके जैसे उच्च पदस्थ व्यक्ति को इस तरह सादगी और भक्ति भाव में आरती करते देखना अपने आप में प्रेरणादायक है। सरयू तट पर बच्चों से लेकर वृद्धों तक, हर किसी के चेहरे पर प्रसन्नता और भक्ति का भाव झलक रहा था।
कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई थी। जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने आरती स्थल पर सभी व्यवस्थाओं को संभाला। पूरी शाम घाट दीपों की झिलमिलाहट और मंत्रों की गूंज से अनुपम दृश्य बन गया, जिसे देखने वाले हर व्यक्ति के मन में अयोध्या की दिव्यता बस गई।
आरती संपन्न होने के बाद निर्मला सीतारमण ने मां सरयू के तट पर कुछ देर मौन साधना भी की। उन्होंने अपने माता-पिता के साथ दीप प्रवाहित कर परिवार और देश की समृद्धि की कामना की।
इस अवसर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि अयोध्या केवल भगवान श्रीराम की नगरी नहीं, बल्कि राष्ट्र की आध्यात्मिक धरोहर है। और जब देश की वित्त मंत्री जैसे शीर्ष नेता श्रद्धा के साथ इस परंपरा में सहभागी बनते हैं, तो यह भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बन जाता है।
सरयू आरती का यह क्षण केवल अयोध्या के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए आस्था, सादगी और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक बन गया।
