जयपुर, 15 अक्टूबर । विप्र फाउंडेशन के तत्वाधान में निर्मित श्री परशुराम ज्ञानपीठ में बुधवार को विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को संबोधित किया। यह सत्र फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. शर्मा ने विद्यार्थियों को जीवन, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के गहरे संबंध पर विचार साझा करते हुए कहा —
“संस्कारोदय की पहली पाठशाला परिवार होता है। परिवार में रहकर जो शिक्षा, अनुशासन और मूल्य हम सीखते हैं, वही जीवनभर हमारे व्यक्तित्व की आधारशिला बनते हैं। यदि परिवार मजबूत है, तो राष्ट्र स्वतः सशक्त होता है।”
विदेशी शिक्षा बनाम भारतीय मूल्य आधारित शिक्षा
विदेशों की शिक्षा प्रणाली पर विचार रखते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि विदेशों में शिक्षा अब व्यवसाय और लाभ केंद्रित हो चुकी है, जहां उद्देश्य केवल “रोजगार” है, जबकि भारतीय शिक्षा का मूल उद्देश्य “चरित्र और संस्कार निर्माण” रहा है।
उन्होंने स्पष्ट कहा —
“विदेशी शिक्षा प्रणाली हमारे आत्मबोध और भारतीय मूल्य प्रणाली को कमजोर करती है, इसलिए हमें स्वदेशी शिक्षा की ओर लौटना चाहिए।”
स्वदेशी चेतना से राष्ट्र निर्माण
डॉ. शर्मा ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि स्वदेशी केवल वस्त्र या वस्तु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचार और आत्मनिर्भरता की चेतना है।
“जब हम अपनी मिट्टी, भाषा, संस्कृति और संसाधनों पर विश्वास करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माण होता है। स्वदेशी चेतना आत्मनिर्भर भारत की आत्मा है।”
लक्ष्य आधारित शिक्षा पर जोर
डॉ. शर्मा ने कहा कि शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का साधन नहीं, बल्कि जीवन के उद्देश्यपूर्ण मार्गदर्शन का माध्यम होनी चाहिए।
“शिक्षा वही सार्थक है जो व्यक्ति को राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाए, समाज के लिए उत्तरदायी बनाए और स्वयं के लिए आदर्श बनाए।”
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे संस्कार, स्वदेशी चेतना और लक्ष्य आधारित शिक्षा के माध्यम से “विकसित भारत” के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
श्री परशुराम ज्ञानपीठ का निरीक्षण
डॉ. दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर श्री परशुराम ज्ञानपीठ भवन का निरीक्षण किया और उसकी कार्यप्रणाली की सराहना की।
उन्होंने बताया कि यह भवन 60000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला है, जिसे भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में फाउंडेशन को सौंपा गया था। आज यह भवन छः मंजिला भव्य परिसर के रूप में शिक्षा, संस्कार और समाज सेवा का केंद्र बन चुका है।
भवन में—
- एक मंजिल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु समर्पित है,
- एक मंजिल पर स्किल सेंटर स्थापित है,
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी सेंटर सक्रिय रूप से कार्यरत है,
- दो मंजिलों पर कन्या छात्रावास में लगभग 100 छात्राओं के निवास की व्यवस्था की गई है।
इसके अतिरिक्त, परिसर में शानदार ऑडिटोरियम और 5G आधारित वैदिक रिसर्च सेंटर भी स्थापित है, जिसे डॉ. शर्मा ने “वास्तव में विलक्षण और दूरदर्शी अवधारणा” बताया।
विप्र फाउंडेशन के कार्यों की सराहना
डॉ. शर्मा ने स्मरण किया कि वर्ष 2015 के सूरत महाअधिवेशन में वे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए थे, जहां लिए गए निर्णय आज साकार रूप ले रहे हैं।
उन्होंने कहा —
“आज श्री परशुराम ज्ञानपीठ को देखकर मन अत्यंत प्रफुल्लित है। यह भवन समाज के लिए प्रेरणास्रोत है।”
संस्थानिक व्यवस्था पर बल
संगठन के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि
“शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मानव कल्याण के लिए ऐसे भवन स्थापित होने चाहिए और उनके संचालन की संस्थागत व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।”
इससे पूर्व उन्होंने भगवान परशुराम जी की प्रतिमा का पूजन किया और भवन के विभिन्न हिस्सों का अवलोकन किया।
इस अवसर पर विप्र फाउंडेशन राजस्थान के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय महामंत्री पवन कुमार पारीक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विमलेश शर्मा एवं ओ.पी. मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र हर्ष, ज़ोन-1 अध्यक्ष राजेश कर्नल, ज़ोन-1 महामंत्री सतीश शर्मा, राष्ट्रीय युवा समन्वयक मनोज पांडेय, ज़ोन-1 सचिव सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष अजय पारीक, वीसीसीआई चेयरमैन नवीन शर्मा, देवेश पारीक, कार्तिक पारीक, दीक्षा हर्ष (कोटा) सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
