
नई दिल्ली, 24 अगस्त। बिहार की राजनीति का तापमान एक बार फिर चरम पर है। राहुल गांधी की अगुवाई में चल रही वोटर अधिकार यात्रा सातवें दिन कटिहार पहुंची और वहां का दृश्य अद्भुत था। जिस तरह हजारों-लाखों लोग इस यात्रा में शामिल हुए, वह साफ संकेत है कि बिहार की जनता लोकतंत्र और अपने मताधिकार की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। मंच पर राहुल गांधी ने न सिर्फ भाजपा पर सीधा हमला बोला, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी बड़े सवाल खड़े किए।
जनसैलाब: पेड़ों पर चढ़कर राहुल की झलक पाने को बेताब लोग
कटिहार की सड़कों और मैदानों में जिस तरह का नजारा देखने को मिला, वह किसी राजनीतिक रैली से बढ़कर आंदोलन जैसा प्रतीत हो रहा था। भीड़ इतनी विशाल थी कि राहुल गांधी की झलक पाने के लिए लोग पेड़ों और मकानों की छतों तक पर चढ़ गए। जनसभा स्थल चारों ओर से “वोट चोर, गद्दी छोड़” और “संविधान बचाओ” जैसे नारों से गूंज रहा था। यह भीड़ केवल संख्या नहीं थी, बल्कि संदेश थी कि जनता अब लोकतंत्र पर हो रहे हमलों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
राहुल गांधी का तीखा हमला: “भाजपा दलितों-पिछड़ों का हक मार रही”
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा –
“भाजपा चुनाव आयोग के साथ मिलकर देशभर में वोट चोरी कर रही है। इसका मकसद सिर्फ एक है – दलितों, पिछड़ों और गरीबों से उनका संवैधानिक हक छीनना।”
उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह ही बिहार में भी एसआईआर (Special Identification Register) के बहाने लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए।
संविधान बनाम संघ की विचारधारा
अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने संविधान की प्रति भी लहराई। उन्होंने कहा कि संविधान भारत की हजारों साल पुरानी सोच का प्रतीक है, जो हर नागरिक को समान मान्यता देता है। इसके उलट भाजपा-आरएसएस की विचारधारा समाज को ऊंच-नीच में बांटकर दलितों-पिछड़ों को नीचे धकेलने की है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा –
“महात्मा गांधी ने संविधान की बुनियाद रखने वाले मूल्यों के लिए अपना जीवन दे दिया। गोडसे ने गांधी की हत्या की क्योंकि वह संविधान से नफरत करता था। आज वही सोच भाजपा और आरएसएस चला रहे हैं।”
बेरोजगारी का मुद्दा: बिहार को बताया केंद्र
राहुल गांधी ने जनसभा में बेरोजगारी का मुद्दा पूरी ताकत से उठाया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और गलत जीएसटी जैसे फैसलों ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि रोजगार के अवसर घटते चले गए।
“आज बिहार बेरोजगारी का केंद्र है। सरकारी नौकरियां बंद हैं, सेना में भर्ती बंद है, व्यापारी संकट में हैं और किसानों को सहारा नहीं मिल रहा। दूसरी ओर अरबपतियों के लाखों-करोड़ के कर्ज माफ किए जा रहे हैं।”
मखाना किसानों से संवाद: ज़मीन से जुड़ाव का संदेश
कटिहार पहुंचने से पहले राहुल गांधी ने खेतों में जाकर मखाना किसानों से मुलाकात की। किसानों ने उन्हें बताया कि मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कमी से वे भारी संकट में हैं। राहुल गांधी ने किसानों को आश्वासन दिया कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन सत्ता में आने पर किसानों को आर्थिक सुरक्षा देंगे। यह मुलाकात यात्रा को केवल राजनीतिक न रखकर ज़मीनी स्तर पर जोड़ने का संदेश देती है।
मीडिया पर हमला: “यह अरबपतियों की मीडिया है”
राहुल गांधी ने मीडिया को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा –
जनता ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ का नारा लगा रही है, लेकिन मीडिया इसे दिखा नहीं रही, क्योंकि यह अरबपतियों की मीडिया है।”
उनका इशारा साफ था – बड़े कॉर्पोरेट घरानों के प्रभाव में काम कर रहे मीडिया संस्थान जनता की असली आवाज को दबा रहे हैं।
INDIA गठबंधन की ताकत का प्रदर्शन
कटिहार की रैली में राहुल गांधी अकेले नहीं थे। उनके साथ राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, विधायक दल के नेता शकील अहमद, सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य, वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार मौजूद थे। यह मंच INDIA गठबंधन की एकजुटता का संदेश दे रहा था और जनता के बीच यह संदेश गया कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष मिलकर लड़ रहा है।
वोटर अधिकार यात्रा: क्या है मकसद?
कांग्रेस का दावा है कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य जनता को यह बताना है कि वोट उनका संवैधानिक अधिकार है और इसे छीने जाने की साजिश हो रही है। बिहार जैसे राज्यों में लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की शिकायतें आ रही हैं। राहुल गांधी का कहना है कि एसआईआर के नाम पर यह वोट चोरी का नया तरीका है।
भीड़ का जोश: आंदोलन में बदलती यात्रा
कटिहार में जिस तरह लोग उमड़े, वह केवल राजनीतिक सभा नहीं थी। भीड़ का उत्साह किसी आंदोलन की तरह था। राहुल गांधी की हर बात पर जोरदार तालियां और नारे गूंज रहे थे। यह दृश्य बताता है कि वोटर अधिकार यात्रा केवल कांग्रेस का कार्यक्रम नहीं रह गया, बल्कि जनता की बेचैनी और गुस्से का प्रतीक बन गया है।
भाजपा पर सीधा वार: “देश का धन कुछ हाथों में”
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों से देश का सारा धन अंबानी-अडानी जैसे कुछ अरबपतियों के हाथों में केंद्रित हो गया है। जबकि आम आदमी, किसान और छोटे व्यापारी संकट में हैं। यह आरोप उन्होंने बार-बार दोहराया ताकि संदेश सीधे जनता तक पहुंचे।
जनता का नारा: “वोट बचाओ, संविधान बचाओ”
सभा में शामिल लोगों के हाथों में तख्तियां और झंडे थे। हर ओर सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी –
“वोट बचाओ, संविधान बचाओ”
यह नारा यात्रा का केंद्रीय संदेश बन चुका है और तेजी से गांव-गांव तक पहुंच रहा है।
विपक्ष की रणनीति: बिहार से शुरू, देशभर तक विस्तार
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन ने बिहार को इसलिए चुना क्योंकि यह राज्य सामाजिक न्याय और आंदोलन की राजनीति का केंद्र रहा है। यहां से उठी आवाज देशभर में असर डाल सकती है। यात्रा का मकसद केवल वोट चोरी का मुद्दा उठाना ही नहीं, बल्कि बेरोजगारी, महंगाई और किसान संकट को भी राजनीतिक एजेंडे पर लाना है।
भाजपा की प्रतिक्रिया: आरोपों को बताया बेतुका
भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस निराधार बातें कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस जनता का विश्वास खो चुकी है, इसलिए अब चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, भीड़ का रुख और जनता का उत्साह यह दर्शाता है कि राहुल गांधी का संदेश जमीन पर असर डाल रहा है।
क्या वोटर अधिकार यात्रा बनेगी 2025 की राजनीति का मोड़?
कटिहार की ऐतिहासिक सभा ने यह साफ कर दिया है कि राहुल गांधी का यह अभियान केवल राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि लोकतंत्र बचाने का आंदोलन बनने की क्षमता रखता है। भीड़ का जोश, विपक्ष की एकजुटता और भाजपा पर सीधे हमले – यह सब मिलकर यात्रा को राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बना रहे हैं। आने वाले महीनों में यह तय करेगा कि 2025 और 2026 के चुनावी परिदृश्य में जनता किसके साथ खड़ी होती है।