
भोपाल, 03 जून । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ‘संगठन सृजन अभियान’ की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के संगठन को जमीनी स्तर पर सशक्त और पुनर्गठित करना है। रविंद्र भवन में आयोजित एक भव्य कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया बल्कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और आरएसएस पर तीखे राजनीतिक प्रहार भी किए। राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय, आर्थिक असमानता और संगठनात्मक ढांचे को केंद्र में रखकर अपना संबोधन दिया, जो कांग्रेस की आगामी रणनीति की झलक भी देता है।
राहुल गांधी ने कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट किया कि संगठन का पुनर्गठन केवल औपचारिकता नहीं होगा, बल्कि यह पार्टी को सत्ता से जोड़ने वाली वास्तविक कड़ी बनेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिला अध्यक्षों को अब केवल दिखावटी पद नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें ताकत, जिम्मेदारी और निर्णय लेने का अधिकार भी सौंपा जाएगा। “जो जिला अध्यक्ष होंगे, वही पार्टी को चलाएंगे,” उन्होंने कहा। यह घोषणा कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से मांग रहे जमीनी नेतृत्व को महत्व देने के संकेत के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में प्रत्याशियों के चयन में जिला अध्यक्षों की राय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
अपने राजनीतिक हमलों के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक फोन आया, तो प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम की बात तुरंत मान ली। राहुल ने इस घटना को एक उदाहरण के तौर पर पेश किया कि कैसे भाजपा और आरएसएस का नेतृत्व विदेशी दबाव में आकर निर्णय लेता है। उन्होंने कहा, “भाजपा और आरएसएस पर ज़रा सा दबाव पड़ता है, तो ये तुरंत सरेंडर कर देते हैं। अमेरिका के इशारे पर मोदी जी ने ‘जी हुजूर’ कह दिया और पीछे हट गए।”
इतिहास का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी की 1971 की रणनीति की सराहना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका की धमकियों के बावजूद इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और बांग्लादेश का निर्माण संभव किया। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी ने किसी से डरकर सरेंडर नहीं किया, बल्कि भारत के हित में निर्णायक कदम उठाए। कांग्रेस की परंपरा रही है कि वह झुकती नहीं, बल्कि लड़ती है। चाहे वो महात्मा गांधी हों, नेहरू हों या सरदार पटेल, किसी ने भी बाहरी ताकतों के आगे घुटने नहीं टेके।”
सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विस्तार से बोलते हुए राहुल गांधी ने लोकसभा में अपने उस संकल्प को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस कार्यकाल में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना केवल आंकड़े भर नहीं होंगे, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक अन्याय की परतें खोलने का माध्यम बनेगा। राहुल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और आरएसएस इस मुद्दे से कतराते हैं क्योंकि इससे यह उजागर होगा कि देश की सत्ता और संसाधनों पर कुछ ही समुदायों और परिवारों का वर्चस्व है।
राहुल गांधी ने बिहार और तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण मॉडल की तुलना करते हुए बताया कि कैसे एक राज्य ने बिना संवाद के केवल अधिकारियों के बल पर सर्वेक्षण किया जबकि दूसरे राज्य ने दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के संगठनों को पूरी प्रक्रिया में शामिल किया। “तेलंगाना मॉडल ने दिखाया कि अगर सभी पक्षों की भागीदारी हो तो परिणाम विश्वसनीय और समाज के लिए उपयोगी हो सकते हैं,” उन्होंने कहा। उन्होंने दावा किया कि तेलंगाना में हुए जातिगत सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि कॉर्पोरेट, शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्रों में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की भागीदारी लगभग न के बराबर है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज देश की संपत्ति कुछ मुट्ठीभर उद्योगपतियों — विशेषकर अडानी और अंबानी — के हाथों में केंद्रित होती जा रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस की विचारधारा यही है कि सत्ता और पूंजी एक खास वर्ग तक सीमित हो। “आज देश का पैसा कुछ लोगों के हाथों में दे दिया गया है। हर जगह अडानी और अंबानी का नाम आता है, ऐसा लगता है जैसे इनके अलावा देश में कोई व्यापारी है ही नहीं,” उन्होंने व्यंग्य के लहजे में कहा।
राहुल गांधी ने चीन के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि बड़े कारोबारी भारत में चीनी माल बेचते हैं, जिससे फायदा तो अडानी-अंबानी को होता है, लेकिन रोज़गार चीन के युवाओं को मिलता है। उन्होंने कहा कि “भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है, युवा हताश हैं और हम सुपर पावर बनने की बात कर रहे हैं? यह तभी संभव है जब समाज के सभी वर्गों को बराबरी का अवसर मिले।”
कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि आने वाले वर्षों में कांग्रेस का कायाकल्प जमीनी स्तर से किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी नेताओं को पद नहीं, बल्कि जिम्मेदारी मिलेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे न सिर्फ संगठन को मजबूत बनाएं बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ आवाज भी बुलंद करें। “हम सिर्फ चुनाव जीतने के लिए काम नहीं कर रहे हैं, हम भारत के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं,” उन्होंने भावुक अंदाज में कहा।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि पार्टी अब केवल बड़े शहरों या राजधानी केंद्रित नहीं रहेगी। जिला स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संगठन का असली चेहरा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संगठन सृजन अभियान एक नई शुरुआत है, जिसमें कांग्रेस न केवल संगठनात्मक रूप से मजबूत होगी, बल्कि वैचारिक रूप से भी साफ संदेश देगी कि वह सामाजिक न्याय, आर्थिक बराबरी और लोकतांत्रिक सहभागिता की पक्षधर है।
अपने संबोधन के अंत में राहुल गांधी ने सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “आज अगर हम एकजुट रहें, तो कोई ताकत कांग्रेस को नहीं रोक सकती। लेकिन यह तभी होगा जब हम हर जिले, हर गांव, हर मोहल्ले तक पहुंचेंगे।” उन्होंने कहा कि संगठन सृजन अभियान केवल एक राजनीतिक गतिविधि नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है, जो भारत के पुनर्निर्माण की दिशा में पहला कदम है।
राहुल गांधी की इस सभा को लेकर कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व में भी उत्साह देखा गया। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। राहुल के संदेशों को आगामी संगठनात्मक पुनर्निर्माण और रणनीतिक अभियानों की आधारशिला माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वापसी की कोशिशों में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।