
नई दिल्ली 7 नवंबर। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) के कार्यशील पूंजी के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस निर्णय का उद्देश्य न केवल कृषि क्षेत्र को समर्थन देना है, बल्कि इसके माध्यम से किसानों के हितों को भी संरक्षित करना है। सरकार का यह कदम भारतीय कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम प्रयास है।
भारतीय खाद्य निगम का इतिहास और भूमिका
भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना 1964 में की गई थी, जिसका उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्नों की खरीद, रणनीतिक भंडारण, कल्याणकारी योजनाओं हेतु खाद्यान्न का वितरण और बाजार में आवश्यक खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। अपने प्रारंभिक वर्षों में FCI ने 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और 4 करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ कार्य शुरू किया था। इसके बाद से इसके परिचालन में अभूतपूर्व विस्तार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी 2023 में इसकी अधिकृत पूंजी 11,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये कर दी गई।
FCI की वित्तीय चुनौतियाँ और सरकार का सहयोग
समय के साथ FCI को विभिन्न वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसमें बड़ी मात्रा में अल्पकालिक उधार शामिल है, जिसे कार्यशील पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए लिया जाता है। इन अल्पकालिक ऋणों पर लगने वाले ब्याज से FCI पर आर्थिक दबाव बढ़ा है। इसे कम करने के उद्देश्य से ही भारत सरकार ने 10,700 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण इक्विटी संचार की मंजूरी दी है, जो FCI की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी और इसके परिचालन को अधिक कुशल बनाएगी। इस इक्विटी से ब्याज के बोझ को कम करने में सहायता मिलेगी और सरकार की सब्सिडी पर दबाव कम होगा।
खाद्य सुरक्षा और MSP आधारित खरीद का महत्व
FCI देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। MSP के आधार पर खाद्यान्न की खरीद से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलता है और यह उनके आर्थिक सशक्तिकरण में सहायक होता है। MSP पर आधारित खरीद प्रणाली कृषि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती है। इस कदम के माध्यम से सरकार ने एक बार फिर से स्पष्ट कर दिया है कि कृषि क्षेत्र का विकास और किसानों का कल्याण उसकी प्राथमिकता है।
सरकारी प्रतिबद्धता और आर्थिक दृष्टिकोण
कृषि क्षेत्र की उन्नति के लिए सरकार का यह सहयोग न केवल एक आर्थिक निर्णय है, बल्कि यह किसानों की स्थिरता और कृषि अर्थव्यवस्था के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। सरकार द्वारा FCI के लिए दी गई यह इक्विटी भारतीय खाद्य निगम की क्षमता को बढ़ाएगी और उसे अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से पूरा करने में समर्थ बनाएगी।
भविष्य की संभावनाएँ और FCI का महत्व
FCI के परिचालन और भंडारण क्षमता में सुधार का सीधा लाभ कृषि क्षेत्र को मिलेगा। इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनके उत्पाद का समय पर उचित मूल्य मिले और देश में खाद्य पदार्थों की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे।
एफसीआई का कार्यक्षेत्र और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर असर
एफसीआई का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक है और इसका संचालन देशभर में फैला हुआ है। यह संस्थान न केवल फसल की खरीद करता है, बल्कि भंडारण और वितरण तक की जिम्मेदारी निभाता है। खासकर कल्याणकारी योजनाओं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे मील) और अन्य राज्य सरकारों की खाद्य योजनाओं के लिए एफसीआई खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। इस प्रकार, एफसीआई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करता है।
सरकार द्वारा दी गई नई इक्विटी FCI को इन सभी कार्यों को अधिक कुशलता से करने में सहायक होगी। इससे किसानों को तुरंत भुगतान सुनिश्चित होगा और वितरण प्रणाली को भी सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलेगी।
कृषि क्षेत्र में रोजगार और समृद्धि के नए अवसर
भारत में कृषि क्षेत्र रोजगार का एक बड़ा स्रोत है और इस क्षेत्र में निवेश से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं। FCI का यह आर्थिक सशक्तिकरण न केवल मौजूदा कर्मचारियों और भंडारण कर्मियों को लाभान्वित करेगा, बल्कि इसके अंतर्गत अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके साथ ही कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों, जैसे कि ट्रांसपोर्ट, भंडारण और वितरण में भी स्थानीय स्तर पर नौकरियों का सृजन होगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और बल मिलेगा।
किसानों को सशक्त बनाने में एमएसपी की भूमिका
एमएसपी पर आधारित खरीद नीति किसानों के लिए एक बुनियादी सुरक्षा कवच का कार्य करती है। एमएसपी पर खरीद के जरिए किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाने का प्रयास किया जाता है, जिससे वे न्यूनतम मूल्य पर अपनी फसल बेच सकें। इससे न केवल किसानों की आय में स्थिरता आती है, बल्कि वे कृषि में नए प्रयोग और तकनीकी निवेश के प्रति भी प्रेरित होते हैं। इस प्रकार, एफसीआई का सशक्तिकरण एमएसपी नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में सहायक होगा और किसानों को सीधे तौर पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा।
एफसीआई में संरचनात्मक सुधार और तकनीकी उन्नयन की संभावनाएं
एफसीआई को मजबूत बनाने के लिए सरकार का यह कदम इसके संरचनात्मक सुधार और तकनीकी उन्नयन के लिए भी महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों में एफसीआई ने डिजिटल प्रौद्योगिकी और आईटी आधारित प्रणाली अपनाई है, जिससे कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि हुई है। नई इक्विटी से एफसीआई अपनी प्रौद्योगिकी को और भी मजबूत कर सकता है। ई-खरीद, ई-स्टोरेज और ई-डिस्ट्रीब्यूशन जैसी डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके इसकी कार्यप्रणाली को और अधिक कुशल एवं पारदर्शी बनाया जा सकता है, जिससे लागत में कमी आएगी और कामकाज तेज होगा।
भारत की खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
इस इक्विटी निवेश से एफसीआई देश की खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने में और अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकेगा। खाद्य सुरक्षा केवल खाद्यान्न के उपलब्ध होने पर निर्भर नहीं है, बल्कि वितरण व्यवस्था और भंडारण की क्षमता भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान देती है। एफसीआई के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर सकेगी कि भविष्य में किसी भी आपदा या अनाज की कमी के समय देशवासियों को आवश्यक खाद्य सामग्री समय पर और उचित मूल्य पर उपलब्ध कराई जा सके।
इस 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी का संचार एफसीआई के लिए वित्तीय मजबूती का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो न केवल एफसीआई की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि यह देश के कृषि क्षेत्र को भी मजबूत करेगा। इस निवेश से कृषि क्षेत्र को स्थायित्व मिलेगा, किसानों को उचित समर्थन मिलेगा और भारत की खाद्य सुरक्षा प्रणाली अधिक सुदृढ़ होगी। यह कदम न केवल कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
सरकार का यह रणनीतिक निर्णय देश के किसानों, कृषि क्षेत्र और खाद्य सुरक्षा के लिए एक नई दिशा और उन्नति की राह प्रस्तुत करता है। इसके सकारात्मक परिणाम दीर्घकालिक होंगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को मजबूत आधार मिलेगा।