
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को रूस की यात्रा पर रवाना होंगे, जहां वह 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन रूस के ऐतिहासिक शहर कजान में 22-23 अक्टूबर 2024 को आयोजित हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष निमंत्रण पर हो रही है। शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ-साथ, प्रधानमंत्री मोदी रूस और अन्य ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। रूस और भारत के बीच वर्षों से चले आ रहे प्रगाढ़ संबंधों और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार को देखते हुए यह यात्रा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यह इस वर्ष प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी रूस यात्रा है, जिससे दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रक्षा सहयोग को और बल मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच की व्यक्तिगत मित्रता भी इन दोनों देशों के संबंधों को गहरा बनाने में अहम भूमिका निभाती रही है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिसमें व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: वैश्विक महाशक्तियों का मिलन
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण समूह है, जो वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक धारा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस साल का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन खास तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संगठन के हालिया विस्तार के बाद पहली बार हो रहा है। मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई जैसे देशों का इस संगठन में शामिल होना ब्रिक्स की बढ़ती वैश्विक महत्ता को दर्शाता है।
रूस के कजान शहर में आयोजित इस सम्मेलन के दौरान ग्लोबल साउथ के देशों के हितों को आगे बढ़ाने और बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान 40 से अधिक देशों के नेता उपस्थित होंगे। इसके साथ ही, ब्रिक्स में नए सदस्यों को शामिल करने की संभावनाओं पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
अलीपोव ने कहा कि ब्रिक्स का यह विस्तार ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगा। इसके माध्यम से विकासशील देशों के हितों को वैश्विक स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकेगा। पिछले कुछ वर्षों में ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश में निरंतर वृद्धि हुई है, और यह सम्मेलन आपसी सहयोग को और बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।
रूस में ब्रिक्स की अध्यक्षता: वैश्विक मंच पर भूमिका
रूस वर्तमान में ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता कर रहा है। ब्रिक्स की शुरुआत 2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ हुई थी, जिसे बाद में 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद ब्रिक्स नाम दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में इस संगठन का दायरा लगातार बढ़ा है, और अब इसके विस्तार की प्रक्रिया और भी तेज हो गई है। कई अन्य देशों ने भी इस संगठन में शामिल होने में रुचि दिखाई है। ब्रिक्स ने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह विकासशील देशों के लिए एक प्रमुख मंच बन गया है।
ब्रिक्स देशों के पास वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक बड़ा हिस्सा है, और यह समूह दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह संगठन वैश्विक स्तर पर बहुपक्षीय सहयोग और संतुलित विकास को प्रोत्साहित करता है, और इसका उद्देश्य विकासशील देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
इस साल के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल संगठन का अध्यक्ष है, बल्कि रूस और भारत जैसे देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में काम कर रहा है।
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी। रूस और भारत के बीच वर्षों से घनिष्ठ रक्षा और आर्थिक सहयोग रहा है, और दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में एक वैश्विक संवाददाता सम्मेलन में संकेत दिया था कि भारतीय फिल्मों के प्रचार-प्रसार पर भी बातचीत हो सकती है। पुतिन ने कहा था कि रूस में भारतीय फिल्में अत्यधिक लोकप्रिय हैं और रूस में एक विशेष टीवी चैनल भी है, जो हमेशा भारतीय फिल्में दिखाता है।
यह चर्चा भारतीय सिनेमा को रूस में और अधिक लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और बढ़ावा दे सकती है। साथ ही, भारतीय फिल्म उद्योग के विस्तार के लिए रूस एक बड़ा बाजार साबित हो सकता है। इसके अलावा, भारतीय दवा और ऑटोमोटिव क्षेत्र के संबंध में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
भारतीय सिनेमा: रूस में बढ़ती लोकप्रियता
रूस में भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता कोई नई बात नहीं है। 1950 और 1960 के दशक से ही भारतीय फिल्में रूस में बेहद पसंद की जाती रही हैं। राज कपूर की फिल्म ‘आवारा’ और मिथुन चक्रवर्ती की ‘डिस्को डांसर’ ने रूस में भारतीय सिनेमा के लिए एक अलग ही स्थान बनाया है।
वर्तमान में भी शाहरुख खान जैसे बॉलीवुड सितारों की फिल्में रूस में खूब देखी जाती हैं। हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘पठान’ को रूस में भारी सफलता मिली। यह दर्शाता है कि भारतीय सिनेमा रूस में एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंच रखता है, और यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करता है।
राष्ट्रपति पुतिन ने इस संबंध में कहा कि भारतीय फिल्मों को रूस में और बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि यह उद्योग और भी विकसित हो सके। सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: भारत के लिए रणनीतिक अवसर
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन भारत के लिए वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मामलों में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें व्यापार, निवेश, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक सुधार शामिल हैं। भारत ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक दक्षिण के देशों के हितों को वैश्विक स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की दिशा में काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और रूस के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और बल मिलेगा। इसके साथ ही, भारत ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर है। इस यात्रा के माध्यम से भारत न केवल रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में अपनी भूमिका को भी और प्रभावी बनाएगा।
रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध, भारतीय सिनेमा का बढ़ता प्रभाव, और ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक दक्षिण के हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में यह यात्रा अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।