
नई दिल्ली, 19 मार्च 2025: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में 19वें रामनाथ गोयनका पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए। व्यवसाय रिपोर्टिंग में त्वैश मिश्रा को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए रामनाथ गोयनका अवार्ड दिया गया इस अवसर पर राष्ट्रपति ने स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि नागरिकों को कितनी सटीक और गहन जानकारी मिलती है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यदि जनता को सटीक और निष्पक्ष समाचार नहीं मिलते, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ अपने वास्तविक अर्थ को खो देंगी। उन्होंने कहा कि एक संपन्न न्यूज़रूम, जो विविध विचारों से भरा हो, किसी भी समाचार संगठन के लिए आवश्यक है। उन्होंने विशेष रूप से शोध-आधारित पत्रकारिता की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि समाचार की गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए मीडिया संगठनों को एक समर्पित शोध विंग विकसित करनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने मूल पत्रकारिता को बढ़ावा देने की जरूरत को रेखांकित किया और कहा कि समाचार एकत्रीकरण, जो पत्रकारिता की आत्मा है, को और अधिक मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने मीडिया संस्थानों से आग्रह किया कि वे जमीनी स्तर की रिपोर्टिंग की संस्कृति को प्रोत्साहित करें और इसके लिए अधिक संसाधन आवंटित करें। राष्ट्रपति ने मीडिया के आर्थिक मॉडल पर भी चर्चा की और बताया कि पारंपरिक समाचार पत्र और पत्रिकाएँ उच्च गुणवत्ता वाली रिपोर्टिंग और विश्लेषण प्रस्तुत करने पर ध्यान देती थीं, जिससे पाठक उनकी प्रतियाँ खरीदते थे और यह मॉडल विज्ञापनदाताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होता था। लेकिन हाल के दशकों में यह मॉडल कई हाइब्रिड मॉडलों में बदल चुका है। उन्होंने इस बदलाव के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारकों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए सबसे बेहतर मॉडल पाठक-आधारित फंडिंग हो सकता है, लेकिन इसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
डिजिटल पत्रकारिता के युग में पत्रकारिता की गुणवत्ता को बनाए रखना चुनौती
राष्ट्रपति मुर्मू ने डिजिटल मीडिया और तकनीक के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता का भविष्य डिजिटल स्पेस में तेजी से आकार ले रहा है, और यह जरूरी है कि इस क्षेत्र में सत्यता और निष्पक्षता को बनाए रखा जाए। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि दुर्भावनापूर्ण सामग्री और तथाकथित “पोस्ट-ट्रुथ” संस्कृति पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। लेकिन उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम जल्द ही उस चरण में पहुँचेंगे जहाँ फेक न्यूज और गलत सूचना को समाप्त करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाचार की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया जा रहा है और इनका दुरुपयोग रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने मीडिया संस्थानों से आग्रह किया कि वे डीप फेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अन्य दुरुपयोग के खतरों के प्रति नागरिकों को संवेदनशील बनाएं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से युवा पीढ़ी को यह सिखाने की जरूरत है कि समाचार रिपोर्टों और विश्लेषण में छिपे पूर्वाग्रहों और एजेंडों को कैसे पहचाना जाए। इसके लिए मीडिया साक्षरता (Media Literacy) कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है ताकि लोग सटीक जानकारी और भ्रामक खबरों के बीच अंतर कर सकें।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि एआई तकनीक ने पत्रकारिता समेत कई क्षेत्रों में नई संभावनाएँ और चुनौतियाँ पैदा की हैं। हालाँकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पत्रकारिता केवल डेटा और तथ्यों के संकलन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानवीय सहानुभूति और संवेदनशीलता भी आवश्यक होती है, जो मशीनें नहीं समझ सकतीं। उन्होंने कहा कि समाचार लेखन में एआई का प्रयोग हो सकता है, लेकिन कहानियों की गहराई और मानवीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने की क्षमता केवल पत्रकारों के पास है।
समाचार उद्योग के सामने नई चुनौतियाँ और संभावनाएँ
राष्ट्रपति ने पत्रकारिता उद्योग के समक्ष आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि मीडिया संस्थानों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना होगा ताकि वे निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर सकें। इसके लिए उन्होंने कहा कि सरकार, कॉर्पोरेट जगत, और पाठकों से मिलने वाले फंडिंग मॉडल की समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता को विज्ञापन-आधारित मॉडल पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे रिपोर्टिंग की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने पाठकों को केंद्र में रखकर सब्सक्रिप्शन-आधारित मॉडल को प्रोत्साहित करने की वकालत की, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि इस मॉडल को बनाए रखना कठिन हो सकता है।
राष्ट्रपति ने मीडिया संगठनों को यह सलाह दी कि वे समाचार को निष्पक्ष और तथ्य-आधारित बनाने पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि पहले के समय में समाचार पत्र और पत्रिकाएँ गहराई से विश्लेषण और रिपोर्टिंग पर जोर देती थीं, लेकिन अब डिजिटल दौर में तेजी से खबरें प्रकाशित करने की होड़ ने पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। उन्होंने मीडिया संगठनों से अनुरोध किया कि वे गहराई से रिपोर्टिंग की परंपरा को बनाए रखें और शोध-आधारित पत्रकारिता को प्रोत्साहित करें।
पत्रकारिता का भविष्य: एआई और मानवीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन
राष्ट्रपति मुर्मू ने पत्रकारिता के भविष्य पर अपनी राय रखते हुए कहा कि एआई ने रिपोर्ट संकलन और संपादन प्रक्रिया को आसान बना दिया है, लेकिन उसमें मानवीय संवेदनशीलता और नैतिकता की कमी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को एआई से प्रतिस्पर्धा करने के बजाय अपनी मानवीय विशेषताओं को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में पत्रकारिता को सत्यता, निष्पक्षता और गहन शोध के साथ आगे बढ़ना होगा, तभी वह समाज को सही दिशा दे सकेगी।
राष्ट्रपति ने समारोह में उपस्थित पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा कि उनका कार्य समाज को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने मीडिया संस्थानों से आग्रह किया कि वे सही खबरों के प्रसार और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दें। अंत में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र की आत्मा है, और इसकी स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता को बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए संदेश से यह स्पष्ट होता है कि पत्रकारिता को नए युग की चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना होगा। फेक न्यूज, डीप फेक और एआई के दुरुपयोग जैसी समस्याओं के बीच निष्पक्ष और तथ्य-आधारित पत्रकारिता की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। उन्होंने शोध-आधारित पत्रकारिता, जमीनी रिपोर्टिंग और मीडिया साक्षरता पर जोर देकर पत्रकारिता के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। यह समारोह केवल पुरस्कार वितरण का मंच नहीं था, बल्कि पत्रकारिता के भविष्य पर एक गंभीर विमर्श भी था, जो आने वाले वर्षों में मीडिया उद्योग की दिशा तय कर सकता है।