वायनाड, 30 नवंबर। मुंडक्कई और चूरलमाला की भयावह त्रासदी ने न केवल वायनाड बल्कि पूरे केरल को झकझोर कर रख दिया है। पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने संबोधन में उन परिवारों और व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की जिन्होंने अपने प्रियजनों और आजीविका को खो दिया है। उन्होंने इस दुखद घड़ी में वायनाड और केरल के लोगों के साथ एकजुटता की भावना व्यक्त की और पार्टी कार्यकर्ताओं और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सदस्यों से अपील की कि वे पीड़ितों की मदद के लिए सरकार पर दबाव डालें।
त्रासदी और पीड़ितों की सहायता का आह्वान
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और यूडीएफ के पास सरकार जैसी क्षमता नहीं है, लेकिन यह उन्हें पीड़ितों की मदद करने से नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा, “हम केवल उन लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त कर सकते हैं जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें वह समर्थन दें जिसकी उन्हें इस समय सबसे अधिक आवश्यकता है।” उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि पीड़ितों की मदद के लिए ठोस और दीर्घकालिक कदम उठाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने वायनाड के लोगों के प्रति केरल के बाकी हिस्सों के समर्थन और एकता की सराहना करते हुए कहा, “केरल के लोगों ने दिखाया है कि कैसे कठिन समय में मानवता और करुणा एक साथ आ सकती है। यह भावना वायनाड के पुनर्निर्माण के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”
वायनाड के लोगों का विश्वास और राहुल गांधी का दायित्व
अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के साथ अपने संबंध को रेखांकित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “पांच साल पहले, आपने मुझे अपना सांसद चुना। आज, मेरी बहन ने संसद में वायनाड का प्रतिनिधित्व करने की शपथ ली है। हम दोनों ने एक ही प्रतिज्ञा की है—वायनाड के लोगों के दिलों में बसने वाली भावना को संसद में आवाज देना।”
उन्होंने कहा कि वायनाड के लोगों ने उन पर जो विश्वास जताया है, वह केवल राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं बल्कि एक भावनात्मक और नैतिक जिम्मेदारी है। “जब मैं यहां किसी बच्चे को देखता हूं, तो मुझे एहसास होता है कि उसके माता-पिता ने मुझ पर भरोसा किया है। मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं उनकी देखभाल करूं और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश करूं,” उन्होंने कहा।
संविधान और वैचारिक संघर्ष
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में भारतीय संविधान की रक्षा के लिए चल रही लड़ाई पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में एक वैचारिक संघर्ष चल रहा है—एक तरफ कांग्रेस और उसके सहयोगी हैं, जो संवेदनाओं, स्नेह और प्रेम की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ भाजपा है, जो नफरत, क्रोध और विभाजन को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा, “संविधान कहता है कि हर व्यक्ति के साथ समान व्यवहार होना चाहिए। लेकिन पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि गौतम अडानी के साथ हर दूसरे भारतीय से अलग व्यवहार किया जाएगा। यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।”
राहुल गांधी ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि वायनाड जैसी जगह, जिसने हाल ही में प्राकृतिक आपदा का सामना किया है, उसे केंद्र सरकार से वह समर्थन नहीं मिल रहा जिसके वह हकदार हैं। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है बल्कि उन्होंने वायनाड के लोगों को भी निराश किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक क्षेत्र को उसकी त्रासदी के बावजूद नज़रअंदाज किया जा रहा है,”
भाजपा के खिलाफ जनता की ताकत
भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई को रेखांकित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के पास सत्ता, पैसा, मीडिया और केंद्रीय एजेंसियां हैं, लेकिन कांग्रेस के पास लोगों का समर्थन है। उन्होंने कहा, “भाजपा ने सीबीआई, ईडी, और आईटी जैसे सभी संस्थानों को अपने हथियार बना लिया है। लेकिन उनके पास जो भी ताकत हो, अंततः जनता की भावना ही विजयी होती है।”
उन्होंने विश्वास जताया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी भाजपा की विचारधारा को हराने में सफल होंगे। “हमारा संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि उनकी विचारधारा के खिलाफ है। यह विचारधारा संविधान को तोड़ती है, लोकतंत्र को कमजोर करती है, और समाज को विभाजित करती है। लेकिन हमें विश्वास है कि हम इस वैचारिक लड़ाई में विजयी होंगे,” राहुल गांधी ने कहा।
वायनाड का पुनर्निर्माण: एक साझा जिम्मेदारी
राहुल गांधी ने अपने संबोधन का समापन वायनाड के पुनर्निर्माण के लिए साझा जिम्मेदारी के आह्वान के साथ किया। उन्होंने कहा कि यह न केवल सरकार बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह त्रासदी से प्रभावित लोगों की मदद करे।
उन्होंने वायनाड के लोगों से अपील की कि वे एकजुट रहें और इस चुनौतीपूर्ण समय में धैर्य बनाए रखें। “हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी एकजुटता है। हमें एक साथ मिलकर वायनाड को फिर से खड़ा करना होगा और इसे एक बेहतर भविष्य देना होगा,” उन्होंने कहा।
मुंडक्कई और चूरलमाला की त्रासदी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मानवता की भावना और एकता हर चुनौती का सामना कर सकती है। वायनाड के लोग, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के समर्थन के साथ, इस कठिन समय से उबरने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह संबोधन केवल एक राजनीतिक भाषण नहीं, बल्कि वायनाड के लोगों के साथ राहुल गांधी के गहरे भावनात्मक जुड़ाव और उनके अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।