
नई दिल्ली 27 अक्टूबर। भारतीय सेना का आधुनिकीकरण मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश की सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है। 21वीं सदी में बदलते युद्ध के स्वरूप और तकनीकी प्रगति के बीच, एक आधुनिक सेना ही देश की सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है। इस दिशा में मोदी सरकार ने कई दूरदर्शी कदम उठाए हैं। इस लेख में, हम इन पहलों और उनके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारतीय सेना का आधुनिकीकरण: एक व्यापक दृष्टिकोण
मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के प्रयास कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इनमें जमीनी सेना, वायु सेना, और नौसेना की क्षमताओं में सुधार के साथ-साथ साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमता को भी शामिल किया गया है। इन सुधारों के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है।
आधुनिकीकरण की दिशा में उठाए गए प्रमुख कदम
1. राइफल और गोला-बारूद का आधुनिकीकरण
भारतीय सेना को आधुनिक और विश्वस्तरीय राइफल्स और गोला-बारूद की आवश्यकता है। सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए अमेरिकी सिग सॉर राइफल्स को सेना में शामिल किया है। इसके अलावा, भारत ने रूस से भी अत्याधुनिक एके-203 राइफल्स के निर्माण के लिए समझौते किए हैं। ये राइफल्स कठिन परिस्थितियों में भी कार्य करने में सक्षम हैं, जो भारतीय जवानों के सुरक्षा कवच को और अधिक मजबूती प्रदान करते हैं।
2. टैंक और बख्तरबंद वाहनों का उन्नयन
भारतीय सेना के पास युद्धक टैंकों का एक बड़ा बेड़ा है, जिसमें ‘अर्जुन’ और ‘टी-90’ प्रमुख हैं। इन टैंकों को नई तकनीक से सुसज्जित किया जा रहा है, जिससे इनकी शक्ति और सुरक्षा में सुधार हो। भारत में अर्जुन टैंकों का उत्पादन डीआरडीओ द्वारा किया जा रहा है, जबकि रूस से प्राप्त टी-90 टैंकों को भी आधुनिक तकनीकी सुधारों से लैस किया जा रहा है।
3. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का विकास
आधुनिक युद्ध में इलेक्ट्रॉनिक और साइबर युद्ध क्षमताएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय सेना अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने के लिए नए सिस्टम और उपकरण विकसित कर रही है। इस दिशा में डीआरडीओ ने कई उपकरण और सिस्टम विकसित किए हैं, जिनका उपयोग सेना विभिन्न अभियानों में कर रही है।
4. साइबर सुरक्षा का उन्नयन
भारतीय सेना ने साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते साइबर हमलों के खतरे को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना अपनी साइबर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बना रही है। इसके तहत विभिन्न साइबर कमांड सेंटर और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का विकास किया गया है।
5. ड्रोन और अनमैन्ड वाहनों का विकास
ड्रोन तकनीक का विकास भारतीय सेना के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है। इजराइल और अमेरिका जैसे देशों के सहयोग से भारतीय सेना ने ड्रोन और यूएवी (अनमैन्ड एरियल व्हीकल) तकनीक का विकास किया है। ये ड्रोन निगरानी, हमला, और रसद वितरण जैसे कार्यों में उपयोग किए जा रहे हैं। ‘भारत ड्रोन नीति 2021’ ने ड्रोन उद्योग को बढ़ावा दिया है, जिससे देश के भीतर ही ड्रोन का उत्पादन संभव हो पाया है।
6. हवाई शक्ति और मिसाइल प्रणाली का उन्नयन
भारतीय वायुसेना ने हाल ही में राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में शामिल किया है। इसके अतिरिक्त, देश में विकसित तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को भी शामिल किया गया है। मिसाइल प्रणाली में अग्नि और पृथ्वी जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं, जो भारत की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को मजबूत बनाती हैं।
स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण
मोदी सरकार की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” योजनाएं रक्षा क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई नीतियां बनाई हैं। इनमें रक्षा उत्पादन नीति 2020 प्रमुख है, जिसका उद्देश्य 2025 तक भारतीय रक्षा निर्यात को 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है।
1. रक्षा उत्पादन नीति 2020
इस नीति के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कंपनियों के साथ समझौते किए गए हैं। भारत अब बड़े पैमाने पर सैन्य उपकरण और हथियारों का निर्माण कर रहा है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो रही है और नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
2. स्मार्ट वेपनरी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
भारतीय सेना में स्मार्ट वेपनरी, जैसे स्वचालित टैंक और ड्रोन, शामिल किए जा रहे हैं। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग बढ़ रहा है, जिससे युद्ध के मैदान में तेज निर्णय लेने की क्षमता बढ़ रही है।
3. हथियारों का स्वदेशीकरण और रक्षा कंपनियों की भागीदारी
भारत ने कई विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जैसे कि लॉकहीड मार्टिन और बोइंग। इसके माध्यम से भारत में ही आधुनिक हथियारों का उत्पादन संभव हो सका है। इससे न केवल सेना की ताकत बढ़ी है, बल्कि भारत को रक्षा निर्यात के लिए एक उभरते बाजार के रूप में स्थापित करने का अवसर भी मिला है।
नतीजे और चुनौतियाँ
भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों से कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, लेकिन यह प्रक्रिया बिना चुनौतियों के नहीं है। विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करना, समय पर परियोजनाओं को पूरा करना, और वित्तीय संसाधनों का कुशलता से प्रबंधन करना कुछ बड़ी चुनौतियाँ हैं। इसके अलावा, भारत को अपनी सीमाओं पर बढ़ते खतरों के मद्देनज़र रक्षा नीति में निरंतर सुधार और विकास करना होगा।
1. आत्मनिर्भरता की दिशा में सफलता
भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में सफलता प्राप्त की है। स्वदेशी कंपनियों का योगदान बढ़ने से विदेशी आयात पर निर्भरता कम हो रही है।
2. भविष्य की दिशा और नीति निर्माण
मोदी सरकार भारतीय सेना के आधुनिकीकरण को अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक मानती है। सरकार नई नीतियां और रणनीतियाँ बनाकर देश की रक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
3. चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
विदेशी तकनीकी निर्भरता को कम करना और समय पर सभी सैन्य परियोजनाओं को पूरा करना भारतीय सेना के लिए प्रमुख चुनौतियाँ हैं। सेना की सुरक्षा और ताकत को बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और निरंतर विकास की आवश्यकता है।
भारतीय सेना का आधुनिकीकरण एक आवश्यक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल देश की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। मोदी सरकार की इन पहलों से भारतीय सेना को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता मिलेगी। सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों से देश की आर्थिक, तकनीकी, और सामरिक शक्ति में वृद्धि हो रही है, जिससे भारत एक वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
इस प्रकार, भारतीय सेना का आधुनिकीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भरता, और वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो आने वाले वर्षों में भारतीय सुरक्षा और विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।