
लखनऊ 12 दिसंबर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने महाराष्ट्र के परभणी जिले में घटित एक घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह घटना डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा और भारतीय संविधान के अपमान से संबंधित है। मायावती ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से इस घटना को “अति-निंदनीय और शर्मनाक” करार दिया।
1. महाराष्ट्र राज्य के परभणी में स्थित भारतरत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा एवं संविधान का किया गया अपमान अति-निन्दनीय व शर्मनाक। इस घटना से पार्टी काफी दुःखी व चिन्तित भी है।
(1/2)— Mayawati (@Mayawati) December 12, 2024
उन्होंने लिखा कि इस कृत्य ने संविधान निर्माता और भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति समाज में गहरी असंवेदनशीलता और जातिवादी मानसिकता को उजागर किया है। बसपा प्रमुख ने घटना को लेकर अपनी पार्टी की गहरी चिंता और दुःख व्यक्त किया। उन्होंने इसे न केवल बाबा साहेब का बल्कि पूरे संविधान और उस विचारधारा का अपमान बताया, जिसने भारत को सामाजिक समानता और न्याय का आदर्श दिया।
मायावती ने अपने संदेश में महाराष्ट्र की सरकार से मांग की कि वह इस मामले में जातिवादी और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्य में हालात बिगड़ सकते हैं। उन्होंने इस घटना को भारतीय समाज की सामाजिक एकता के लिए बड़ा खतरा बताया।
बसपा सुप्रीमो ने अपनी अपील में सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने और कानून-व्यवस्था का पालन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हिंसा और अशांति किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि न्याय के लिए कानूनी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाना सबसे सही रास्ता है।
घटना का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा और संविधान का अपमान केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में मौजूद जातिवादी मानसिकता का प्रमाण है। परभणी की इस घटना ने न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर रोष उत्पन्न किया है। मायावती जैसी प्रमुख दलित नेता के बयान ने इस मुद्दे को और अधिक राजनीतिक धार दी है।
महाराष्ट्र में दलित समुदाय के लोग इस घटना को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों और अंबेडकरवादी समूहों ने भी इस घटना की निंदा की है और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती की प्रतिक्रिया इस मुद्दे को राष्ट्रीय राजनीति में और जोरदार ढंग से उठाएगी। बसपा प्रमुख का बयान दलित समुदाय के समर्थन को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
घटना के बाद महाराष्ट्र की सरकार पर दबाव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि भारतीय समाज को सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में अभी भी लंबा सफर तय करना है। बाबा साहेब की विचारधारा और उनके द्वारा लिखे गए संविधान का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। मायावती ने इस बात पर जोर दिया कि इस घटना को किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
महाराष्ट्र के परभणी में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा और संविधान का अपमान न केवल एक कानूनी मामला है, बल्कि यह भारत की सामाजिक संरचना और समरसता पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। मायावती की सख्त प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। यह घटना दर्शाती है कि जातिवाद और असमानता के खिलाफ संघर्ष को और मजबूत करने की आवश्यकता है।