
(वसिंद्र मिश्र) नई दिल्ली 21 जून। नीट की परीक्षाओं में हुई धांधली को लेकर देश के नौजवान आंदोलित हैं, उद्दवलित है, देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियां भी आन्दोलित है और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर इंडिया गठबंधन के लगभग सभी नेताओं ने नीट परीक्षा में हुई कथित धाधली के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की है। विपक्ष के आरोपों की सफाई देने के लिए देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मीडिया से मुखातिब हुए हैं। धर्मेंद्र प्रधान के मीडिया की साथ जो चर्चा हुई है उसको भी आप लोगो ने अलग-अलग समाचार माध्यमों के जरिए देखा है, सुना है, अब तक आप लोगों ने पढ़ लिया होगा मैं यहां पर इन दोनों नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंसेज और उन प्रेस कॉन्फ्सेज के आधार पर कई सवाल उपजे हैं जिनके जवाब जरूरी है।
सबसे पहले हम चर्चा करते हैं देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तरफ से प्रेस कॉन्फ्र्स के जरिए नीट परीक्षा में शामिल लाखों युवा को आश्वस्त करने वाली बातों को लेके धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आज पहली बार यह स्वीकार किया है कि इस परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ी और खामियों के लिए वे खुद को नैतिक रूप से जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने यह भी ऐलान किया है, कि सरकार जल्दी ही एक हाई पावर कमेटी बनाएगी और उस हाई पावर कमेटी में हाई लेवल के टेक्नोक्रैट, ब्यूरोक्रैट, एडमिनिस्ट्रेटर, शिक्षाविद, समाज के अलग-अलग क्षेत्रों के जो एक्सपर्ट होंगे उनको शामिल किया जाएगा, और उस कमेटी की रिकमेन्डेशन आने के बाद एनटीए के स्ट्रक्चर, एनटीए के आमूलचूल परिवर्तनों और सुधार के बारे में विचार किया जाएगा। एक और बात उन्होंने बार – बार दोहराया है कि मैं विपक्ष के नेताओं से गरीब छात्रों के हित में अपील कर रहा हूँ कि नीट की परीक्षा का राजनीतिकरण न करें, नीट की परीक्षा के राजनीतिकरण से देश के लाखों गरीब छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाया, उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले सरकार ने संसद में एंटी चीटिंग एक्ट बनाने के लिए बिल पास कर दिया था, और उस बिल में पारित प्राविधान के तहत देश का कानून मंत्रालय जल्दी ही एक विस्तृत नोटिफिकेशन जारी करेगा और उस एंटी चीटिंग बिल के कानून बनने के बाद इस तरह के जो आरोप है, इस तरह की जो गड़बढ़िया हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों में केंद्रीय परीक्षाओं में समय – समय पर देखने को – सुनने को मिलती है उस पर अंकुश लगाया जा सकता है अब सवाल यह उठता है कि
क्या महज कानून बना देने से किसी अपराधिक मामले पर लगाम लगाया जा सकता है?
हमारे देश में तमाम इस तरह के कानून मौजूद हैं। चाहे महिलाओं के खिलाफ अत्याचार रोकने का सवाल हो, एस. सी. एस. टी. के खिलाफ रोज होने वाले उत्पीड़न का सवाल हो या इस तरह के तमाम और सामाजिक बुराइयों, और राजनैतिक बुराइयों से लड़ने के लिए या करप्शन को रोकने का सवाल हो इस पर सैकड़ों कानून बने हुए अलग-अलग राज्यों और देश में, तो क्या इन कानूनों ने हमारे समाज के अंदर हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में इस तरह की बुराइयों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है, लगाम लगा दिया है। क्या हमने कुछ साल पहले मध्यप्रदेश में हुए व्यापम घोटाले से अब तक कोई सबक नहीं लिया है?
क्या हमने अब तक अलग-अलग राज्यों में हुए तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से लेकर उसके कैंसिलेशन तक से कोई सबक नहीं लिया है?
क्या महज कानून बनाना ही इस तरह की बुराइयों पर लगाम लगाना है?
एंटी चीटिंग एक्ट संभवतः जितनी मेरी जानकारी है उसमें देश में सबसे पहले राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश में बनाई थी जब राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश की सरकार में शिक्षा मंत्री थे उस समय उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, कल्याण सिंह उस सरकार के मुख्यमंत्री थे। राजनाथ सिंह बहैसियत शिक्षा मंत्री नकल विरोधी कानून बनाए थे और उसके बाद जब चुनाव हुआ तो बीजेपी सत्ता से बेदखल हो गई उसके बाद राज्य में जो सरकार बनी थी उसने उस कानून में बदलाव किया और जब तक वह कानून रहा तब तक उत्तर प्रदेश में हुई परीक्षाओं में तमाम ऐसे लड़के – लड़किया जेल भेज दिए गए जिनकी कोई बडी गलती नहीं थी जो अभी तक का अनुभव बताता है कि ज्यादातर मामलों में ज्यादातर वक्त में बने कानूनों का सत्ता में बैठे हुए प्रशासनिक अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार उसका दुरुपयोग करते रहे हैं तो क्या जिस तरह से देश में बने अलग-अलग वक्त में अलग-अलग अपराधों की प्रकृति को रोकने के लिए जो कानून बने हैं उन्हीं कड़ी में एक और यह कानून शक्ल लेगा जो कि कुछ पिछले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार ने संसद के दोनों सदनों से पारित किया था और उसका नोटिफिकेशन होने वाला है जिसकी औपचारिक घोषणा आज देश के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की है । एक और जो महत्वपूर्ण सवाल धर्मेंद्र प्रधान से जब पूछा गया तो उनका यह कहना था कि यूजीसी नेट की परीक्षा को कैंसिल करने के पीछे देश के गृह मंत्रालय की तरफ से उनको जानकारी मिली थी। वह जानकारी पुख्ता थी इसलिए उस जानकारी के आधार पर यूजीसी नेट की परीक्षा कैंसल की गई तो नीट की परीक्षा के बारे में भी तो बिहार की सरकार और वहां के जांच एजेंसियों ने कई हफ्ते पहले केंद्र की सरकार और जो परीक्षा आयोजित करती है उस संस्था को और शिक्षा मंत्रालय को जानकारी दे दी थी बावजूद उसके अभी तक नीट के बारे में सरकार ने कोई तार्किक निर्णय क्यों नहीं लिया?
क्या सरकार अभी तक विपक्ष के राजनैतिक प्रेसर का इंतजार कर रही थी?
क्या आज सरकार को लगा नीट के सवाल पर नीट की परीक्षा में हुई कथित धांधली के सवाल पर जिस तरह से आक्रामक मुद्रा में राहुल गांधी से ले के विपक्ष के बाकी नेताओं के तरफ से देखने को मिल रहा है वह आने वाले संसद के सत्र में सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है देश के नौजवानों में सरकार के प्रति नाराजगी और असंतोष बढ़ा सकता है देश की पूरी की पूरी परीक्षा प्रणाली पर एक सवालिया निशान खड़ा कर सकता है और नेट जैसे उच्च स्तरीय संस्था पर उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर सकता है इसलिए आज देश के शिक्षा मंत्री को मीडिया के सामने मुखातिब होना पडा है और आज उन्होंने नैतिक तौर पर अपनी जिम्मेदारी ली है, ज़िम्मेदारी स्वीकार की। हम सब जानते हैं कि जिस समय सेंट्रलाइज़ एडमिशन सिस्टम को लेकर केंद्र की सरकार कानून बना रही थी और इस संस्था का गठन कर रही थी तब से लगातार दक्षिण भारत के राज्यों की तरफ से इसका विरोध होता रहा। तमिलनाडु की तरफ से लगातार इस बात का आरोप लगाया जाता रहा कि नेट के जरिए दक्षिण भारत के राज्यों के नौजवानों के साथ, अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी करने की तैयारी चल रही है। यह कानून जब बना, यह संस्था जब बनी अपने गठन के वक्त से ही लगातार विवादों में रही है लेकिन सरकार ने उन सभी आपत्तियों को, उन सभी आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए इस संस्था का गठन किया और उस संस्था को प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंप दी । हम सबने देखा है कि शुरुआती दौर में पहले संस्था के एक अधिकारी की तरफ से, फिर देश के शिक्षा मंत्री की तरफ से नीट में हुई कथित धांधली के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया था और जब एक – एक कर के लोग गिरफ्तार हो रहे है, अब एक – एक करके जब उसके तार एक-दूसरे से जुड़ते नजर आ रहा है जब एक – एक करके इस कथित घोटाले का केंद्र देश के कुछ राज्य बनते दिखाई दे रहे हैं तब केंद्र के शिक्षा मंत्री और उनकी विभाग की तरफ से पूरे मामले के उच्च स्तरीय जांच कराने की मांगों को स्वीकार कर लिया गया है, अब अभी तक जो उच्च स्तरीय कमेटी बनने जा रही है उसका नोटिफिकेशन नहीं जारी हुआ उस उच्चस्तरीय कमेटी में कौन-कौन मेम्बर होगा उनके नामों का भी ऐलान नहीं हुआ।
अब हम आते हैं राहुल गांधी की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर, राहुल गांधी ने आज एक बार फिर सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी, संघ परिवार और उनसे जुडे हुए पदाधिकारियों और अधिकारियों पर हमला बोला है। उन्होंने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीधे तौर पर आरोप लगाया है, कि देश के तमाम संस्थाओं पर एक विचारधारा विशेष के लोगों के नियुक्ति हो रही है और उस विचारधारा विशेष के लोगों के जो क्षमता है जो उनकी विश्वसनीयता है वह इस लायक नहीं है, कि वे इतने महत्वपूर्ण संस्थानों के मुखिया के रूप में इस तरह की परीक्षाओं का बिना किसी विवाद के, बिना किसी आरोप के उसका आयोजन कर सके उसको संपन्न करा सके। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले 10 वर्षों से लगातार देश के लगभग सभी संस्थाओं पर एक विचारधारा विशेष के लोगों को तैनात किया जाता रहा है और इस तैनाती में क्षमता योग्यता और विश्वसनीयता की अनदेखी की जाती रही है जिसका नतीजा है कि ज्यादातर संस्थाए पीछे होती जा रही है। उन संस्थाओं का प्रदर्शन गिरता जा रहा है उनका शासन बहुत ही खराब होता जा रहा है। राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री पर भी आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री की कोशिश इस समय देश के नौजवानो की समस्याओं के निराकरण से ज्यादा लोकसभा में स्पीकर कौन होगा इसके चयन को लेके हैं। प्रधानमंत्री की सारी चिंता इस बात की है कि किसी भी तरह से लोकसभा के स्पीकर के पद पर अपने पसंदीदा व्यक्ति की तैनाती कराई जाए उनका यह भी आरोप है कि प्रधानमंत्री से लेकर उनकी पूरी की पूरी सरकार पारदर्शिता और विश्वसनीयता से काम नहीं कर रहे। यही कारण है कि चाहे नेट की परीक्षा हो या नीट की परीक्षा हो या अलग-अलग राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में हुई पेपर लीक की घटनाएं हों उन सभी मामलों में सरकार का प्रदर्शन संस्थाओं का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक और लचर रहा है, उन्होंने मांग की है कि नीट की कथित घोटाले के जांच के साथ – साथ इस पूरे मामले में यथा शीघ्र तार्किक कार्रवाई होनी चाहिए जिससे कि देश के लाखों नौजवानों का भविष्य बचाया जा सके। अब दोनों तरफ से देश के नौजवानों के भविष्य की दुहाई दी जा रही है आपने सुना होगा कि देश के शिक्षा मंत्री भी अपने बचाव में देश के उन तमाम गरीब ग्रामीण क्षेत्र के नौजवानों के भविष्य की दुहाई दे रहे और विपक्ष से अपील कर रहे हैं कि वे देश के लाखों गरीब ग्रामीण क्षेत्र के नौजवानों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नीट की परीक्षा पर किसी भी तरह का संदेह पैदा न करें और राहुल गांधी भी देश के उन्ही लाखों गरीब वंचित नौजवानों की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं इस सरकार की तरफ से, सरकार द्वारा अपॉइंटेड एजेंसीज की तरफ से, सरकार द्वारा गठित संस्थाओं की तरफ से और सरकार द्वारा इन संस्थाओं में अप्वाइंटेड अधिकारियों की तरफ से जो काम हो रहा है उनके चलते देश के लाखों – लाखों नौजवान अपने भविष्य को डूबता देख रहा है और यह बहुत गंभीर विषय है, देश के भविष्य का सवाल है क्योंकि अगर देश के नौजवान का भविष्य सुरक्षित नहीं होगा तो देश का भी भविष्य सुरक्षित नहीं होगा। अब इससे एक बात बिल्कुल तय है कि संसद के आने वाले सत्र में लोकसभा के स्पीकर का चयन तो प्राथमिकता पर है टॉप एजेंडा है लेकिन उसके साथ ही संपूर्ण विपक्ष की कोशिश है कि नीट और नेट जैसे परीक्षाओं में कोई कथित धाधली को लेकर सरकार के घेरा बंदी किया जाए सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाए और देश के लाखों नौजवानों को न्याय दिलाया जाए और ये जो कथित घोटाला हुआ है इसकी जांच करके इस घोटाले में शामिल व्यक्तियों और विरोह को कठोर से कठोर कार्रवाई कराई जाए। उनके विरुद्ध कठोर से कठोर दंड दिया जाए। अभी सरकार को तय करना है कि सरकार विपक्ष के इस आक्रमक रुख को देखते हुए सरकार लाखों नौजवानों के असंतोष और आक्रोश को देखते हुए कितना जल्दी सुधारात्मक उपाय करती है या अभी इस मामले को कुछ दिन और टालने की पक्षधर है लेकिन एक बात तय है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार सरकार पर दबाव बढता जा रहा है और यह भी तय है कि नौजवानों की नाराजगी सरकार के प्रति लगातार और उग्र होती जा रही सबसे दिलचस्प बात यह है कि नीट की परीक्षा में हुए कथित घोटाले को लेकर अन्य छात्र संगठनों के साथ – साथ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से भी विरोध किया जा रहा है और परीक्षा में हुई कथित धांधली के खिलाफ आवाज़ उठाई जा रही है। वैसे एक बात बिल्कुल तय है कि नीट की परीक्षा में हुई कथित धांधली के मामले में पार्टी से हट कर नौजवानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। बेहतर होगा कि सरकार नौजवानों के इस बढ़ते गुस्से का आकलन करके इस पर जल्दी से जल्दी कोई फैसला ले और नौजवानों के वक्त और उनके भविष्य के साथ न्याय करें।