
नई दिल्ली, 28 दिसंबर। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 27 दिसंबर को निधन हुआ। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस निर्णय पर सरकार की तीखी आलोचना करते हुए इसे “सिख समुदाय और भारत के महान सपूत” का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार विशेष स्मारक स्थलों पर किया गया है, जिससे आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।
राहुल ने लिखा, “मनमोहन सिंह जी ने भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने और वंचितों को मुख्यधारा में लाने का कार्य किया। उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करना न केवल उनकी गरिमा का हनन है, बल्कि एक गलत परंपरा की शुरुआत है।”
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे “जानबूझकर किया गया अपमान” बताते हुए कहा कि सरकार ने सिख समुदाय और भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री को सम्मान देने में असफलता दिखाई।
भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार आज निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार द्वारा उनका सरासर अपमान किया गया है।
एक दशक के लिए वह भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनके दौर में देश आर्थिक महाशक्ति बना और उनकी नीतियां आज भी देश के…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 28, 2024
भाजपा का पलटवार और सरकार का स्पष्टीकरण
राहुल गांधी के आरोपों के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर राजनीति करना कांग्रेस की असंवेदनशीलता को दिखाता है। भाजपा और सरकार का मानना है कि मृत्यु के समय गरिमा सर्वोपरि होनी चाहिए।”
पात्रा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी को सूचित किया था कि उनकी स्मृति में एक स्मारक स्थल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, “अंतिम संस्कार के समय देरी नहीं की जा सकती। स्मारक के लिए प्रक्रिया चल रही है। लेकिन कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया।”
BJP National Spokesperson Dr. @sambitswaraj addresses press conference in Bhubaneswar, Odisha. https://t.co/hN9Iazj63e
— BJP (@BJP4India) December 28, 2024
गृह मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा कि कैबिनेट बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और स्वर्गीय मनमोहन सिंह के परिवार को सूचित किया गया था कि स्मारक के लिए जगह आवंटित की जाएगी। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि स्मारक के लिए ट्रस्ट का गठन और स्थान आवंटन एक प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।
विपक्ष और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले में भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए सरकार 1,000 गज जमीन भी आवंटित नहीं कर सकी। यह शर्मनाक है। उन्होंने भारत का नाम वैश्विक मंच पर ऊंचा किया और उनकी इस तरह से उपेक्षा करना बेहद गलत है।”
अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मामले को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना ने इसे एक बड़े नेता का अपमान बताते हुए भाजपा की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए।
मनमोहन सिंह की विरासत और स्मारक पर विवाद का असर
मनमोहन सिंह को उनके कार्यकाल के दौरान आर्थिक सुधारों के लिए याद किया जाता है। उन्होंने उदारीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और सामाजिक कल्याण योजनाओं के जरिए भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
उनकी मृत्यु के बाद स्मारक को लेकर हुआ विवाद उनकी विरासत पर चर्चा को नया आयाम देता है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे राजनीतिक अपमान बता रही है, वहीं भाजपा इसे संवेदनशील विषय पर राजनीति कह रही है।
सरकार की ओर से स्मारक की घोषणा के बावजूद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को राजनीतिक बहस का केंद्र बना दिया है। यह विवाद भविष्य में भी सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच टकराव का कारण बन सकता है।
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक को लेकर विवाद ने भारतीय राजनीति के नए आयाम को उजागर किया है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि संवेदनशील मुद्दे भी राजनीतिक बहस में तब्दील हो सकते हैं। मनमोहन सिंह का योगदान उनकी नीतियों और कृतित्व में अमर रहेगा, लेकिन यह विवाद उनकी विरासत को अनावश्यक विवादों में घसीटता हुआ प्रतीत होता है।