
नई दिल्ली, 10 दिसंबर। कांग्रेस ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए दावा किया है कि अडानी को बचाने के लिए सोरोस के नाम पर जनता को गुमराह किया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि मोदी सरकार जॉर्ज सोरोस की फंडिंग में अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रही है। उन्होंने खुलासा किया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (यूएन डेमोक्रेसी फंड) में पिछले आठ वर्षों में नौ लाख अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है, और यह पैसा जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन तक पहुंचता है।
श्रीनेत ने कहा कि सोरोस के फंड से चलने वाले कई प्रोजेक्ट्स भारत में सक्रिय हैं। ये प्रोजेक्ट 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुए थे। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से, इन फंड्स ने छोटे उद्योगों, किसानों और स्टार्टअप्स में निवेश बढ़ा दिया। उन्होंने बताया कि सोरोस इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड के दो बड़े निवेशक सोंग और एस्पाडा हैं। एस्पाडा ने 90 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिसमें से अधिकांश पैसा निओ ग्रोथ और कैपिटल फ्लोट को गया।
कैपिटल फ्लोट के फाउंडर गौरव हिंदुजा और शशांक ऋष्यशृंगा को लेकर उन्होंने कहा कि ये दोनों प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं और उनके साथ मंच साझा करते रहते हैं। श्रीनेत ने आरोप लगाया कि ये दोनों जॉर्ज सोरोस द्वारा पोषित फंड से संचालित कंपनियों के प्रमुख हैं, जिन्होंने 300 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर 40,000 से अधिक छोटे उद्योगों को फंडिंग दी है।
श्रीनेत ने दावा किया कि शशांक ऋष्यशृंगा का भाजपा से पारिवारिक संबंध भी है। उनकी शादी भाजपा के पूर्व कोषाध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे वीरेन शाह की पोती प्रिया शाह से हुई थी। इस शादी में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे बड़े नेता भी शामिल हुए थे।
गंभीर सवाल उठाए
कांग्रेस ने सरकार पर कई सवाल खड़े किए:
- यदि जॉर्ज सोरोस भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, तो मोदी सरकार ने उनके भारत में प्रोजेक्ट्स बंद क्यों नहीं किए?
- यूएन डेमोक्रेसी फंड को पैसा क्यों दिया जा रहा है?
- सोरोस के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से पत्राचार क्यों नहीं किया गया?
- सोरोस से जुड़े लोगों और भाजपा नेताओं के बीच पारिवारिक और व्यावसायिक संबंध क्यों हैं?
“भाजपा का फेक न्यूज और दोहरा मापदंड”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के पास फेक न्यूज के अलावा कोई हथियार नहीं बचा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सोरोस के मुद्दे को उठाकर अडानी पर लगे गंभीर आरोपों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
भाजपा के इस दावे का खंडन करते हुए कि कांग्रेस विदेशी मीडिया पर निर्भर है, श्रीनेत ने कहा कि यह हास्यास्पद है। “जब वही विदेशी मीडिया मोदी सरकार की तारीफ करता है, तो भाजपा के छोटे से बड़े नेता उसका हवाला देने लगते हैं। लेकिन जैसे ही वही मीडिया सरकार की आलोचना करता है, उसे विदेशी साजिश का हिस्सा करार दे दिया जाता है।”
फ्रेंच मीडिया कंपनी मीडियापार्ट का हवाला
श्रीनेत ने भाजपा द्वारा फ्रेंच मीडिया कंपनी मीडियापार्ट के हवाले से सोरोस के खिलाफ किए गए दावों को भी फर्जी बताया। उन्होंने कहा, “मीडियापार्ट ने स्पष्ट किया है कि उसने ऐसा कोई लेख प्रकाशित नहीं किया। अगर मीडियापार्ट भाजपा के लिए इतना विश्वसनीय है, तो राफेल डील के समय उसके खुलासों को भाजपा ने क्यों झूठा बताया?”
ओसीसीआरपी और अडानी का मामला
कांग्रेस ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा इसे भारत विरोधी बताती है, जबकि ओसीसीआरपी ने मोदी-अडानी संबंधों की कलई खोलने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा इन गंभीर आरोपों की जांच करवाने के बजाय अडानी को हर कीमत पर बचाने में जुटी हुई है।
अडानी पर लगे गंभीर आरोप
कांग्रेस ने अडानी ग्रुप पर जालसाजी, हेराफेरी और घूस के आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार को इन मामलों की जांच करनी चाहिए। “इसके बजाय सरकार अडानी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह दर्शाता है कि भाजपा का असली मकसद क्या है।”
मोदी सरकार की सच्चाई उजागर करने की मांग
कांग्रेस ने भाजपा पर जॉर्ज सोरोस से जुड़े व्यक्तियों और फंड्स के साथ संबंध छुपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने वाले ये व्यक्ति किस तरह सोरोस के पैसे से संचालित फंड्स का हिस्सा हैं, यह जनता के सामने आना चाहिए।
श्रीनेत ने कहा, “यह स्पष्ट है कि भाजपा सोरोस के नाम पर नाटक कर रही है। सरकार को अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए।”
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जोर देकर कहा कि भाजपा और मोदी सरकार को पारदर्शिता से काम लेना चाहिए। “देश को फेक न्यूज और झूठी साजिशों से गुमराह करने के बजाय, सरकार को अडानी पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।”