
नोएडा/लखनऊ 27 नवंबर। राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा है कि विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब संविधान का सटीक अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। डॉ. शर्मा ने नोएडा स्थित विश्वप्रसिद्ध गलगोटिया यूनिवर्सिटी में आयोजित उत्तरीय क्षेत्र सम्मेलन (अन्वेशन) 2024 के दौरान अपने विचार साझा किए। इस आयोजन में 45 विश्वविद्यालयों से आए हजारों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2015 से संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। यह दिवस हमें संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उसके महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। डॉ. शर्मा ने विद्यार्थियों को संविधान की मूल भावना को आत्मसात करने का संदेश देते हुए कहा कि बच्चों को केवल पठन-पाठन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि देश और समाज में हो रही गतिविधियों की भी जानकारी रखनी चाहिए।
शिक्षा और तकनीक से भविष्य निर्माण का आह्वान
डॉ. दिनेश शर्मा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक अच्छा विद्यार्थी वही होता है, जो सीखने के प्रति भूखा हो और अपने भविष्य को लेकर चिंतनशील रहे। उन्होंने वर्तमान से संतुष्टि को सफलता और खुशहाली का आधार बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा, “भूतकाल से सीख लें, वर्तमान को बेहतर बनाएं और भविष्य की योजनाओं पर काम करें। आज देश ने शोध और नवाचार के लिए नए अवसरों के द्वार खोले हैं, जो एक समृद्ध भारत के निर्माण में सहायक बनेंगे।”
उन्होंने देश में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “एक समय ऐसा था जब बिजली का आना खबर होती थी, और अब बिजली का जाना खबर बनती है। यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संभव हुआ है। इसी तरह, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों ने देश को आत्मनिर्भर बनाया है।”
वैज्ञानिक प्रगति का उल्लेख
डॉ. शर्मा ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब पूरी दुनिया इस वायरस से कराह रही थी, तब भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में तीन स्वदेशी वैक्सीन विकसित कर 120 से अधिक देशों को राहत पहुंचाई। उन्होंने कहा, “यह हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मेहनत का परिणाम है। एक समय ऐसा भी था, जब हमें मलेरिया के टीके के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन आज, हम वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में अग्रणी हैं।”
डिजिटल इंडिया और जनधन योजनाएं
डॉ. शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा, “पिछले 10 वर्षों में उम्मीदें हकीकत में बदली हैं। डिजिटल इंडिया और जनधन खातों ने आम आदमी के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। आज सरकारी सहायता सीधे लाभार्थियों तक पहुंच रही है। एक समय था जब सरकारी योजनाओं का केवल 15% हिस्सा ही जनता तक पहुंचता था, लेकिन अब डिजिटल माध्यम से यह प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है।”
तकनीक और शोध का महत्व
तकनीक के उपयोग को लेकर उन्होंने कहा, “जीवन को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों का प्रयोग आवश्यक है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों पर भी ध्यान देना जरूरी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने तकनीक और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए ‘शोध गंगा पोर्टल’ जैसे प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं। ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल लाइब्रेरी ने ज्ञान के प्रवाह को बनाए रखा है। आज भारत की मेधा शक्ति का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। पहले भारत के बच्चे विदेशों में पढ़ने जाते थे, लेकिन अब विदेशी छात्र यहां शिक्षा लेने आते हैं। यह बदलते भारत की तस्वीर है।”
भारतीय संस्कृति और विदेशी प्रभाव
डॉ. शर्मा ने भारतीय संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारतीय संस्कृति परिवार और समाज की संस्कृति है, जबकि विदेशी संस्कृति बाजार आधारित है। हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों को बचाए रखना चाहिए। सम्मान हमेशा गुणों का होता है, न कि दिखावे का। विद्यार्थियों को विनम्र और अहंकार रहित रहना चाहिए।”
उत्तर प्रदेश: प्रगति की ओर अग्रसर
उत्तर प्रदेश के विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “प्रदेश में अब सबसे अधिक निवेश हो रहा है। यहां देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर और मोबाइल निर्माण का केंद्र स्थापित हो चुका है। यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश की सकारात्मक छवि का परिणाम है।”
उच्च शिक्षा और शोध की गुणवत्ता पर जोर
डॉ. शर्मा ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर बल देते हुए कहा, “किसी भी संस्थान की पहचान वहां किए गए शोध कार्यों से होती है। गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया है और 35,000 से अधिक छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रही है। विश्वविद्यालयों में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे देश के प्रतिभाशाली छात्रों को बेहतर भविष्य का मार्ग मिल सके।”
सम्मेलन में गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम में कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित रहे, जिनमें वैज्ञानिक और डी.आई.बी.ई.आर. के निदेशक डॉ. देवकांत सिंह, ए.आई.यू. के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, संयुक्त निदेशक डॉ. अमरेंद्र पाणी, गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया, विशेष कार्य अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया, कुलपति डॉ. के.एम. बाबू, प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार और रजिस्ट्रार डॉ. नितिन कुमार कौर शामिल थे।
डॉ. शर्मा ने बच्चों को सीखने की आदत डालने और भारतीय संस्कृति को बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में उच्च शिक्षा और तकनीकी प्रगति के माध्यम से ही भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे शोध और नवाचार को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और देश के विकास में योगदान दें।
यह सम्मेलन भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली और छात्रों के कौशल विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।