
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क 8 जनवरी। 2025 के केंद्रीय बजट से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार को जीडीपी वृद्धि के अनुमान में कटौती और आर्थिक मंदी के संकेतों को लेकर घेरा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने इसे “निराशाजनक पृष्ठभूमि” करार देते हुए सरकार की नीतियों और आर्थिक रणनीतियों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने जीडीपी वृद्धि में कमी, निजी निवेश की सुस्ती, और खपत में गिरावट जैसे मुद्दों पर चिंता जताई।
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि का 6.4% का अनुमान आरबीआई के 6.6% और पिछले वित्त वर्ष के 8.2% की तुलना में काफी कम है। उन्होंने इसे चार साल का निचला स्तर बताया और कहा कि यह अर्थव्यवस्था में गहराते संकट का प्रमाण है। रमेश ने कहा, “महज कुछ हफ्तों में भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार कमजोर हो गया है। विकास और निवेश में आई सुस्ती सरकार की नीतिगत विफलता को दर्शाती है।”
कांग्रेस नेता ने निजी खपत और मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा, “दूसरी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) की वृद्धि दर पिछली तिमाही के 7.4% से घटकर 6% रह गई। कार की बिक्री चार साल के निचले स्तर पर है। मध्यम वर्ग की खपत में कमी अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर समस्या है।”
उन्होंने भारतीय उद्योग जगत के सीईओ द्वारा मध्यम वर्ग की स्थिति पर जताई गई चिंता का हवाला देते हुए कहा कि खपत में नरमी न केवल जीडीपी वृद्धि को प्रभावित कर रही है, बल्कि निजी क्षेत्र को भी निवेश से रोक रही है।
जयराम रमेश ने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी को सरकार की नीतिगत विफलता बताया। उन्होंने कहा, “सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% तक धीमा हो जाएगा, जबकि पिछले वर्ष यह 9% थी। निजी क्षेत्र नई परियोजनाओं में निवेश करने से हिचकिचा रहा है, जिससे मध्यम और दीर्घकालिक वृद्धि बाधित हो रही है।”
उन्होंने सरकार पर पूंजीगत व्यय के आंकड़ों में वादों और वास्तविकता के बीच अंतर का आरोप लगाया। रमेश ने कहा कि 2024-25 के केंद्रीय बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश का वादा किया गया था, लेकिन नवंबर 2024 तक केवल 5.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह पिछले साल की तुलना में 12% कम है।
कांग्रेस नेता ने घरेलू बचत में आई गिरावट पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि परिवारों की शुद्ध बचत 2020-21 से 2022-23 के बीच 9 लाख करोड़ रुपये कम हो गई है। घरेलू वित्तीय देनदारियां जीडीपी के 6.4% तक पहुंच गई हैं, जो दशकों में सबसे अधिक है। रमेश ने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान हुई नीतिगत विफलताएं आज भी भारतीय परिवारों पर भारी पड़ रही हैं।”
जयराम रमेश ने बजट से पहले गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि:
- मनरेगा मजदूरी: ग्रामीण गरीबों की आय बढ़ाने के लिए मनरेगा मजदूरी में वृद्धि की जाए।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): किसानों की समस्याओं को कम करने के लिए एमएसपी में वृद्धि की जाए।
- जीएसटी सुधार: मौजूदा जीएसटी प्रणाली को सरल और अधिक प्रभावी बनाया जाए।
- मध्यम वर्ग के लिए आयकर राहत: आर्थिक दबाव झेल रहे मध्यम वर्ग को आयकर में राहत दी जाए।
कांग्रेस नेता ने विनिर्माण क्षेत्र में विकास की धीमी रफ्तार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “विनिर्माण क्षेत्र में वैसी वृद्धि नहीं हो रही, जैसी होनी चाहिए। इससे रोजगार सृजन और निर्यात दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।”
सरकार पर आरोप: वादे और प्रदर्शन में अंतर
जयराम रमेश ने सरकार पर वादे और प्रदर्शन के बीच भारी अंतर का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “सरकार ने बड़े वादे किए थे, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उनकी योजनाएं जमीनी स्तर पर नाकाम रही हैं। निवेश और खपत में कमी का मतलब है कि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की गति धीमी रहेगी।”
कांग्रेस ने सरकार से मांग की कि विकास और निवेश में आई मंदी को दूर करने के लिए ठोस और मौलिक कदम उठाए जाएं। रमेश ने कहा, “बजट 2025 देश के आर्थिक संकट को दूर करने का आखिरी मौका हो सकता है। इसके लिए सरकार को नीतिगत सुधारों के साथ-साथ व्यावहारिक कदम उठाने होंगे।”
जयराम रमेश के बयान ने बजट 2025 से पहले आर्थिक बहस को तेज कर दिया है। कांग्रेस ने जीडीपी वृद्धि में कटौती, खपत और निवेश में गिरावट, और घरेलू बचत में कमी जैसे मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। आने वाले बजट में सरकार किस तरह से इन चिंताओं को दूर करती है, यह देखना अहम होगा। बजट 2025 सिर्फ आर्थिक दस्तावेज नहीं, बल्कि सरकार की नीतिगत प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब होगा। यह देश के गरीबों, किसानों, और मध्यम वर्ग की समस्याओं को हल करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। विपक्ष की आलोचनाओं के बीच, यह देखना होगा कि सरकार कैसे इन चुनौतियों का सामना करती है और देश को विकास की नई दिशा देती है।