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नईदिल्ली, 16 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोडोलैंड क्षेत्र में शांति और विकास की नई संभावनाओं का प्रतीक बने पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने बोडो समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए इसे पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बताया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “यह महोत्सव शांति और संस्कृति के नए भविष्य का उत्सव है।”
बोडोलैंड का विकास: शांति समझौते की देन
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बोडो शांति समझौते के प्रभावों पर प्रकाश डाला। 2020 में हुए इस ऐतिहासिक समझौते ने दशकों से चली आ रही हिंसा और अस्थिरता का अंत किया और क्षेत्र में एक नई शुरुआत की। उन्होंने कहा, “बोडो शांति समझौते के बाद बोडोलैंड में शांति और समृद्धि की नई लहर आई है। पिछले चार वर्षों में यहां जो प्रगति हुई है, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है।”
मोदी ने कहा कि बोडो समुदाय के जीवन में आए सकारात्मक बदलाव देखकर उन्हें गर्व होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह क्षेत्र अब देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बन चुका है।
युवाओं का मुख्यधारा में लौटना
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से युवाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में वापसी की है। उन्होंने कहा, “आज बोडोलैंड के युवा राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी ऊर्जा और समर्पण भारत के उज्ज्वल भविष्य को और सशक्त बना रहे हैं।”
बोडो शांति समझौते के तहत हजारों युवाओं ने हथियार डालकर शिक्षा, रोजगार और अन्य रचनात्मक कार्यों की ओर रुख किया। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को गति मिली है।
संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
बोडोलैंड महोत्सव न केवल शांति का उत्सव है, बल्कि यह क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का भी प्रयास है। इस महोत्सव में बोडो लोक नृत्य, संगीत, पारंपरिक शिल्प और व्यंजनों का भव्य प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री ने बोडो समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर की सराहना करते हुए कहा, “आपकी परंपराएं और संस्कृति भारत की विविधता में एकता की भावना को और मजबूत करती हैं।”
प्रधानमंत्री की विकास योजनाएँ
प्रधानमंत्री ने बोडोलैंड में जारी विभिन्न विकास परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सड़क, रेल, और हवाई संपर्क में सुधार किया जा रहा है, जिससे बोडोलैंड को शेष भारत से जोड़ने में मदद मिल रही है। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और कृषि के क्षेत्र में भी कई पहल की जा रही हैं।
उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बोडोलैंड क्षेत्र में हर नागरिक को बुनियादी सुविधाएं मिलें। यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि यह क्षेत्र भारत के सबसे विकसित क्षेत्रों में से एक बने।”
स्थानीय नेताओं और समुदाय का योगदान
प्रधानमंत्री ने बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) और स्थानीय नेताओं की भी प्रशंसा की, जिन्होंने शांति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन और समुदाय के समर्थन के बिना यह बदलाव संभव नहीं था।
प्रधानमंत्री ने बोडो समुदाय को बधाई देते हुए कहा, “आपके उत्साह और प्रतिबद्धता के कारण बोडोलैंड में आज शांति और विकास की यह स्थिति संभव हो पाई है। आपका सहयोग और समर्पण पूरे देश के लिए अनुकरणीय है।”
बोडोलैंड: संभावनाओं का क्षेत्र
प्रधानमंत्री ने बोडोलैंड को संभावनाओं का क्षेत्र बताते हुए कहा कि यहाँ के प्राकृतिक संसाधन और सांस्कृतिक धरोहर इसे पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना सकते हैं। उन्होंने निवेशकों को बोडोलैंड में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि यह क्षेत्र विकास के हर संभव मानक पर खरा उतर सकता है।
बोडो शांति समझौते की उपलब्धियां
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बोडो शांति समझौते की प्रमुख उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला:
1. हथियार त्यागना: हजारों युवाओं ने हथियार डालकर समाज में रचनात्मक भूमिका निभाने का फैसला किया।
2. आर्थिक प्रगति: बोडोलैंड क्षेत्र में निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
3. संस्कृति का पुनर्जीवन: स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं।
4. शांति की स्थापना: दशकों से चली आ रही हिंसा का अंत हुआ, जिससे क्षेत्र में स्थायित्व आया।
बोडोलैंड का भविष्य
प्रधानमंत्री ने बोडोलैंड के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि यह क्षेत्र भारत के विकास में एक नई शक्ति बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव न केवल बोडोलैंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। बोडो समुदाय के साथ हमारा यह संबंध और मजबूत होगा।”
समाज में सकारात्मक संदेश
प्रधानमंत्री के इस दौरे और महोत्सव ने पूरे देश को शांति और एकता का संदेश दिया है। यह दर्शाता है कि यदि समुदाय और सरकार मिलकर काम करें, तो कोई भी समस्या असंभव नहीं है।
पहला बोडोलैंड महोत्सव शांति, संस्कृति और समृद्धि का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में बोडो समुदाय के योगदान की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं। यह महोत्सव न केवल बोडोलैंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
“बोडोलैंड महोत्सव यह दर्शाता है कि शांति और विकास का रास्ता ही सही भविष्य की नींव रख सकता है।”