
लखनऊ, 5 मार्च। उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआई) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के आदेश के महज 24 घंटे के भीतर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की रिपोर्ट के आधार पर गोमतीनगर थाने में अंसल एपीआई के मालिक सुशील अंसल, उनके बेटे प्रणव अंसल समेत कई लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। आरोप है कि अंसल एपीआई ने टाउनशिप विकसित करने के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कीं, अवैध रूप से सरकारी जमीन को अपने प्रोजेक्ट में शामिल किया और हजारों खरीदारों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की।
मामला विधानसभा में भी गूंजा, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अंसल एपीआई सपा शासनकाल की उपज है और उनकी सरकार दोषियों को पाताल से भी खोजकर सजा दिलवाएगी।
कैसे खुली अंसल एपीआई की पोल?
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अमीन अर्पित शर्मा ने मंगलवार देर शाम गोमतीनगर थाने में तहरीर देकर अंसल एपीआई के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। तहरीर के मुताबिक, 2005 में एलडीए ने 1765 एकड़ में एक हाईटेक टाउनशिप विकसित करने के लिए योजना स्वीकृत की थी। इसके लिए 2006 में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दी गई। इस योजना के तहत अंसल एपीआई को टाउनशिप विकसित करनी थी, लेकिन कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सरकारी और प्रतिबंधित जमीनों को भी अपनी टाउनशिप में शामिल कर लिया।
जांच में खुलासा हुआ कि अंसल एपीआई ने ग्राम समाज, सीलिंग, तालाब, राज्य सरकार की नाम दर्ज जमीन, चक मार्ग, नवीन परती, बंजर भूमि, नहर और नाली तक को अपनी टाउनशिप का हिस्सा बना लिया। इस बारे में एलडीए को कोई जानकारी नहीं दी गई। जब अधिकारियों ने जांच की, तो इन गड़बड़ियों का पर्दाफाश हुआ।
किन धाराओं में मुकदमा दर्ज?
गोमतीनगर थाने में अंसल एपीआई के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ बीएनएस 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352, 351(2) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज हुआ है। इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर दो से दस साल तक की सजा का प्रावधान है।
मामले में मुख्य रूप से जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है, वे हैं:
- 1. सुशील अंसल – अंसल एपीआई के मालिक
- 2. प्रणव अंसल – सुशील अंसल के बेटे और सह-मालिक
- 3. सुनील कुमार गुप्ता – निदेशक
- 4. फ्रेन्सेटी पैट्रिका अटकिंशन – निदेशक
- 5. विनय कुमार सिंह – अंसल के निदेशक
खरीदारों के साथ बड़ा धोखा, निवेशकों में आक्रोश
अंसल एपीआई के खिलाफ कार्रवाई के बाद हजारों निवेशक और फ्लैट खरीदार अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। कंपनी ने हाईटेक टाउनशिप के नाम पर करोड़ों रुपये वसूलकर लोगों को प्लॉट और फ्लैट देने का वादा किया था। लेकिन अब पता चला कि टाउनशिप में शामिल की गई जमीन में बड़ी संख्या में सरकारी और विवादित प्लॉट हैं। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ा है, जिन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई लगाकर घर खरीदा था।
पीड़ितों का कहना है कि कंपनी ने उन्हें समय पर कब्जा नहीं दिया और जब उन्होंने शिकायत की, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अब योगी सरकार की कार्रवाई से उन्हें उम्मीद जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनका पैसा वापस मिलेगा।
विधानसभा में भी उठा मामला, सीएम योगी ने साधा निशाना
अंसल एपीआई घोटाले का मामला विधानसभा में भी गूंजा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा,
अंसल एपीआई सपा सरकार की उपज है। ये घोटालेबाज गरीबों का पैसा लूटकर भाग नहीं सकते। अगर किसी को गलतफहमी है कि वह जनता के पैसे लेकर बच जाएगा, तो हम उसे पाताल से भी खोजकर निकालेंगे और सजा देंगे। हमारी सरकार गारंटी लेती है कि हर पीड़ित को न्याय मिलेगा और सबका पैसा वापस कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद विधानसभा में सपा नेताओं और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस भी हुई।
अंसल एपीआई का इतिहास और विवादों की फेहरिस्त
अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआई) भारत की प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों में से एक रही है। कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, कानपुर, आगरा समेत कई शहरों में बड़े प्रोजेक्ट विकसित किए। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह कंपनी लगातार विवादों में घिरी रही।
लखनऊ के सुषांत गोल्फ सिटी और सुषांत टाउनशिप प्रोजेक्ट्स में भी अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं।
नोएडा और गुरुग्राम में भी अंसल के कई प्रोजेक्ट्स कानूनी पचड़ों में फंसे।
1997 में उपहार सिनेमा अग्निकांड में भी सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी पाया गया था, जिसमें 59 लोगों की मौत हुई थी।
क्या होगा आगे?
सरकार की सख्ती को देखते हुए अब अंसल एपीआई के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो सकती है। एलडीए ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध कब्जे वाली जमीनों को सरकार वापस लेगी और जिन खरीदारों के साथ धोखाधड़ी हुई है, उनके लिए राहत योजना बनाई जाएगी।
इस मामले में आगे की संभावित कार्रवाई:
1. सीबीआई या ईडी जांच – यदि मामला बड़ा साबित हुआ, तो इसकी जांच केंद्रीय एजेंसियों को सौंपी जा सकती है।
2. संपत्ति कुर्की – अंसल एपीआई के बैंक खातों और संपत्तियों की जांच कर कुर्की की जा सकती है।
3. खरीदारों को मुआवजा – सरकार पीड़ित निवेशकों के लिए राहत पैकेज पर विचार कर सकती है।
4. अन्य दोषियों पर भी शिकंजा – जांच के दौरान अन्य अधिकारियों और दलालों की भूमिका भी सामने आ सकती है।
योगी सरकार की इस कार्रवाई से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अंसल एपीआई घोटाले में हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, और अब सरकार दोषियों को सजा दिलाने और निवेशकों का पैसा वापस कराने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तय है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में अवैध काम करने वालों के लिए यह एक बड़ा संदेश है।