

नई दिल्ली, 13 नवंबर। 5 अगस्त 2019 का दिन भारतीय इतिहास में एक नया अध्याय लिखने का गवाह बना। इस दिन भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया, जिससे राज्य को भारत की मुख्य धारा में जोड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस कदम ने न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों को बराबरी का दर्जा दिया, बल्कि भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए प्रगति और समृद्धि के नए युग की शुरुआत” के रूप में वर्णित किया।
इस निर्णय ने केंद्र सरकार को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में से एक के रूप में इसे जनता के सामने पेश करने का अवसर दिया और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए महत्वपूर्ण बन गया। विपक्षी दलों पर हमला करने के साथ-साथ, यह राष्ट्रीय एकता और विकास का प्रतीक बन गया। इस लेख में हम इस फैसले के प्रभाव, इसके राजनीतिक आयामों, विकास की संभावनाओं, और सुरक्षा पर इसके असर का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करेंगे।
अनुच्छेद 370 का इतिहास और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा
अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, जो 1949 में जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता देने के उद्देश्य से शामिल किया गया था। 1947 में भारत विभाजन के समय, जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने कुछ समय के लिए राज्य को स्वतंत्र रखने का विचार किया था, लेकिन पाकिस्तान द्वारा राज्य में हमला किए जाने के बाद उन्होंने भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। इसी संधि के तहत भारत ने राज्य को कुछ स्वायत्तता देने का वचन दिया था, जिससे रक्षा, विदेश मामले, और संचार के अलावा अन्य मामलों में जम्मू-कश्मीर सरकार को स्वायत्तता प्राप्त हुई।
अनुच्छेद 35ए के माध्यम से राज्य को यह अधिकार था कि वह बाहरी व्यक्तियों को जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवास का दर्जा न देने, संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने, और सरकारी सुविधाओं का लाभ देने से रोक सके। इसका उद्देश्य राज्य के विशिष्ट सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा करना था, लेकिन यह धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर की विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा बन गया।
अनुच्छेद 370 का खात्मा: ऐतिहासिक निर्णय और प्रक्रिया
2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के लिए एक साहसिक निर्णय लिया। इस निर्णय के तहत, सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को संसद में प्रस्तुत किया, जिसे राज्यसभा और लोकसभा में बहुमत से पारित किया गया। इस निर्णय के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। इससे न केवल राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हुआ बल्कि भारतीय संविधान का संपूर्ण रूप से राज्य में लागू होना संभव हो गया। इसके बाद, भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने और व्यापार करने की स्वतंत्रता मिल गई।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए अनुच्छेद 370 का हटना महत्वपूर्ण
अनुच्छेद 370 का हटना भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक कदम था। यह केवल कानूनी व्यवस्था का परिवर्तन नहीं था, बल्कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को समान अधिकार प्रदान किए और उन्हें भारत की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया। अब जम्मू-कश्मीर के नागरिक भी भारत के अन्य नागरिकों की तरह समान अधिकार और सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इस कदम ने भारत की संप्रभुता को मजबूत किया और क्षेत्रीय भेदभाव समाप्त करने की दिशा में एक मजबूत आधारशिला रखी।
विकास के नए द्वार: जम्मू-कश्मीर में प्रगति की नई शुरुआत
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास की गंगा बहने लगी है। अब सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं सीधे राज्य में लागू हो रही हैं, जिनसे दूर-दराज के इलाकों में भी विकास की लहर पहुँच रही है।
शिक्षा और रोजगार के अवसर
जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अब शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर मिल रहे हैं। जहाँ पहले राज्य के युवा केवल राज्य की सीमाओं में ही नौकरी के अवसर तलाश सकते थे, अब वे पूरे भारत में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए समान रूप से पात्र हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में नए स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों की स्थापना की जा रही है, जिससे राज्य के युवाओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है।
बुनियादी ढांचे में सुधार
राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत की है। इसमें सड़कों का निर्माण, रेल नेटवर्क का विस्तार, और बिजली व पानी की आपूर्ति में सुधार जैसे महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। यह सभी परियोजनाएँ जम्मू-कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों तक विकास की रोशनी पहुँचाने का काम कर रही हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए भी अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई नई योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का लाभ अब जम्मू-कश्मीर की जनता को सीधे मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना जैसी स्वास्थ्य योजनाएँ अब पूरे राज्य में उपलब्ध हैं, जिससे गरीब और निम्न-आय वर्ग के लोग मुफ्त चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। नए अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना भी राज्य के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है।
बाहरी निवेश को प्रोत्साहन
अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में बाहरी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार ने अनुकूल नीतियाँ बनाई हैं। इससे राज्य में उद्योगों का विकास हो रहा है और स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। पर्यटन, कृषि, बागवानी और छोटे उद्योगों में बाहरी निवेश को प्रोत्साहन मिलने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
सुरक्षा में सुधार और आतंकवाद पर नियंत्रण
अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। यह कदम सरकार को आतंकवाद पर सख्ती से निपटने और कानून-व्यवस्था को सुधारने का अवसर प्रदान करता है। राज्य में आतंकवाद पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इससे आम नागरिकों का विश्वास बढ़ा है और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण में जीवन व्यतीत करने का अवसर मिल रहा है।
विरोधी दलों का रुख और उनके राजनीतिक हित
हालाँकि अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में विकास और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त हुआ है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल और नेता इसके खिलाफ हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), और कांग्रेस के कुछ नेता इस निर्णय का विरोध करते हुए अनुच्छेद 370 को बहाल करने की माँग कर रहे हैं। इन दलों का तर्क है कि अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता समाप्त हो गई है और राज्य के लोगों के अधिकार प्रभावित हुए हैं।
हालांकि, सरकार का कहना है कि इन दलों का विरोध मुख्य रूप से उनके राजनीतिक हितों से प्रेरित है। पहले अनुच्छेद 370 के तहत उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे, जिनके कारण वहाँ की जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ सही रूप से नहीं पहुँच पाता था। सरकार के अनुसार, अनुच्छेद 370 के रहते हुए भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग की संभावनाएँ अधिक थीं, जिन्हें अब समाप्त कर दिया गया है।
अनुच्छेद 370 का खात्मा: समाज पर सकारात्मक प्रभाव
अनुच्छेद 370 के हटने का सकारात्मक प्रभाव जम्मू-कश्मीर के समाज पर स्पष्ट दिख रहा है। राज्य की जनता को अब केंद्र सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं में सुधार से राज्य के लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हो रहा है। युवाओं के लिए अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के समान अवसर हैं, जिससे उनकी प्रतिभा को देश के अन्य हिस्सों में भी पहचान मिल रही है।
एकता और विकास की ओर अग्रसर जम्मू-कश्मीर
अनुच्छेद 370 का निरसन केवल एक कानूनी कदम नहीं था, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक निर्णय है। इसके माध्यम से जम्मू-कश्मीर को राष्ट्रीय मुख्यधारा में सम्मिलित किया गया और वहाँ के नागरिकों को समान अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त हुईं। अब राज्य में विकास के द्वार खुले हैं और दूरस्थ गाँवों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँच रहा है।
सरकार का यह कदम केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रव्यापी एकता और विकास का संकल्प है। अनुच्छेद 370 का निरसन जम्मू-कश्मीर की प्रगति और समृद्धि की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जिससे भारत की अखंडता और राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ हुई है।