
दरभंगा 15 मई। जिले में आंबेडकर छात्रावास में आयोजित होने वाले ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम में कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को शामिल होने से रोकने की घटना ने न सिर्फ बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है, बल्कि यह पूरे देश में लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को लेकर एक नई बहस का विषय बन गया है। इस घटना के बाद कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार दिया है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे दलित, पिछड़े और वंचित तबकों की आवाज़ को दबाने की साजिश बताया है।
भारत लोकतंत्र है, संविधान से चलता है, न कि तानाशाही से!
हमें सामाजिक न्याय और शिक्षा के लिए आवाज़ उठाने से कोई नहीं रोक सकता। pic.twitter.com/ksbynJvTqG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 15, 2025
शिक्षा संवाद पर रोक: लोकतंत्र के नाम पर धब्बा
दरभंगा में आयोजित ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम का उद्देश्य दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के छात्रों से शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार के अवसरों को लेकर संवाद करना था। कार्यक्रम की घोषणा होते ही छात्र-छात्राओं में उत्साह था कि देश का प्रमुख नेता उनकी समस्याएं सुनने आ रहा है। लेकिन JDU-BJP सरकार द्वारा राहुल गांधी को इसमें शामिल होने से रोकना यह दर्शाता है कि सत्ता पक्ष युवाओं और समाज के कमजोर तबकों से संवाद करने को भी राजनीतिक खतरा मानने लगा है।
प्रियंका गांधी का तीखा प्रहार
राहुल गांधी को दरभंगा के आंबेडकर हॉस्टल में छात्रों से मिलने से रोके जाने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे तानाशाही, कायरता और लोकतंत्र का अपमान करार देते हुए कहा कि क्या अब देश में दलितों, पिछड़ों और गरीबों से संवाद करना भी अपराध हो गया है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या नेता प्रतिपक्ष को बिहार में छात्रों से मिलने का अधिकार नहीं है?
दरभंगा के अंबेडकर हॉस्टल में 'शिक्षा न्याय संवाद' कार्यक्रम के तहत छात्रों से संवाद करने जा रहे नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी जी को रोकना अत्यंत शर्मनाक, निंदनीय एवं कायराना कृत्य है।
तानाशाही पर उतारू JDU-BJP गठबंधन की सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या बिहार में नेता प्रतिपक्ष…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 15, 2025
राहुल गांधी का संविधान आधारित संदेश
राहुल गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत लोकतंत्र है, संविधान से चलता है, न कि तानाशाही से!” उन्होंने आगे लिखा कि उन्हें सामाजिक न्याय और शिक्षा के लिए आवाज़ उठाने से कोई नहीं रोक सकता। यह बयान न केवल सत्ता के खिलाफ एक मजबूत राजनीतिक संदेश था, बल्कि संविधान की मूल भावना – समता, स्वतंत्रता और बंधुता – की भी पुनः पुष्टि करता है।
क्या दलित छात्रों से संवाद अब अपराध है?
यह सवाल अब आम जनमानस में गूंज रहा है कि क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी विपक्षी नेता को छात्रों से संवाद करने का अधिकार नहीं है? खासकर जब वो छात्र दलित, वंचित और पिछड़े तबकों से आते हों। संविधान में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, फिर इस संवाद को रोकना न सिर्फ अलोकतांत्रिक है, बल्कि सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के भी विरुद्ध है।
बिहार की ऐतिहासिक भूमिका और वर्तमान परिस्थिति
बिहार, जिसे देश में न्याय और क्रांति की भूमि के रूप में जाना जाता है, वही बिहार आज उन आवाज़ों को दबाने का प्रतीक बन रहा है जो शिक्षा और समानता की मांग कर रही हैं। यह वही धरती है जहाँ से जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था। क्या उसी बिहार में आज लोकतंत्र की मूल आत्मा को कुचला जा रहा है?
JDU-BJP की सफाई और विपक्ष की गोलबंदी
इस विवाद पर बिहार सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट सफाई नहीं आई, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों ने इसे कानून-व्यवस्था से जोड़ा है। वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस घटना को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले समय में बिहार और देश की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
छात्रों की प्रतिक्रिया: शिक्षा के हक पर हमला
दरभंगा के कई छात्रों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे इस कार्यक्रम में शामिल होकर अपनी समस्याएं राहुल गांधी के सामने रखना चाहते थे। प्रतियोगी परीक्षाओं की अनियमितता, आरक्षण की अनदेखी और भर्ती में भ्रष्टाचार उनके प्रमुख मुद्दे हैं। अब जब कार्यक्रम को रोक दिया गया है, तो वे खुद को फिर से हाशिये पर खड़ा महसूस कर रहे हैं।
संविधान, शिक्षा और सामाजिक न्याय: तीनों पर संकट
यह घटना केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि यह संकेत देती है कि देश में शिक्षा, सामाजिक न्याय और संविधानिक मूल्यों पर एक साथ हमला हो रहा है। यह सवाल केवल राहुल गांधी या कांग्रेस का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जो लोकतंत्र, समानता और न्याय में विश्वास करता है। यदि आज आवाज़ उठाने पर पाबंदी है, तो कल सोचने पर भी प्रतिबंध लग सकता है।
जवाब देगा बिहार
बिहार की जनता, जिसने हमेशा न्याय, आंदोलन और परिवर्तन की मिसाल कायम की है, इस अन्याय को नज़रअंदाज़ नहीं करेगी। ‘शिक्षा न्याय संवाद’ को रोकने की यह कार्रवाई न केवल राहुल गांधी को, बल्कि बिहार के लाखों छात्रों को चुप कराने की कोशिश है। लेकिन इतिहास गवाह है कि जब-जब आवाज़ों को दबाया गया, तब-तब जनता ने अपने मत से करारा जवाब दिया। बिहार आने वाले समय में फिर साबित करेगा कि वह तानाशाही के आगे झुकता नहीं, संघर्ष करता है।