
अहमदाबाद की ऐतिहासिक धरती पर गूंजा लोकतंत्र का स्वर
अहमदाबाद 9 अप्रैल। कांग्रेस पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक एक ऐतिहासिक क्षण बनकर सामने आई, जिसमें पार्टी ने ‘न्याय पथ’ पर चलकर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। यह केवल एक राजनीतिक बैठक नहीं थी, बल्कि कांग्रेस के वैचारिक पुनरुद्धार और सामाजिक-राजनीतिक प्रतिबद्धता का उद्घोष था। बैठक में देशभर से आए वरिष्ठ नेताओं ने न केवल वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर मंथन किया, बल्कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के संकल्प को दोहराया। यह वह क्षण था जब पार्टी ने अपने ऐतिहासिक मूल्यों की ओर लौटने और जनसरोकारों को प्राथमिकता देने की दिशा में ठोस रणनीति बनाने का कार्य किया।
सरदार पटेल को श्रद्धांजलि और आदर्शों पर पुनः प्रतिबद्धता
बैठक के केंद्र में एक विशेष प्रस्ताव रहा जो भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित था। कांग्रेस कार्यसमिति ने पटेल को स्वतंत्रता संग्राम का झंडाबरदार और आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए उनके सिद्धांतों को वर्तमान राजनीतिक संघर्ष की नींव बताया। प्रस्ताव में कहा गया कि कांग्रेस पार्टी सरदार पटेल की राह पर चलकर किसानों, मजदूरों, कामगारों, वंचितों और शोषित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही यह भी दोहराया गया कि ‘नफरत छोड़ो, भारत जोड़ो’ अभियान पार्टी की विचारधारा का केंद्र बनेगा और कांग्रेस सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ एक मजबूत वैचारिक मोर्चा तैयार करेगी।
संविधान की प्रस्तावना को राजनीतिक एजेंडा बनाने का ऐलान
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि बैठक में संविधान की प्रस्तावना को लेकर गहन चर्चा हुई, जिसमें सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय को लेकर कांग्रेस के आगामी एजेंडे पर विचार किया गया। उन्होंने कहा कि यह एजेंडा केवल एक घोषणापत्र नहीं होगा, बल्कि एक जनआंदोलन का रूप लेगा। कांग्रेस पार्टी अब संविधान में निहित मूलभूत अधिकारों को आमजन के जीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में काम करेगी। उन्होंने कहा कि जब सरकारें संविधान की भावना के साथ खिलवाड़ करें, तब विपक्ष की ज़िम्मेदारी है कि वह उसकी रक्षा के लिए खड़ा हो।
कांग्रेस और गुजरात का ऐतिहासिक रिश्ता:
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि इस वर्ष दो महत्वपूर्ण अवसर हैं – महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ और सरदार पटेल की 150वीं जयंती। इन दोनों महान नेताओं का गहरा रिश्ता गुजरात से है और इसी राज्य में स्वतंत्रता संग्राम के बीज पनपे थे। कांग्रेस का यह निर्णय कि वह गुजरात में राष्ट्रीय स्तर की बैठक करेगी, प्रतीकात्मक नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश है। पार्टी यह दिखाना चाहती है कि गुजरात केवल किसी एक राजनीतिक दल का गढ़ नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस की वैचारिक और ऐतिहासिक भूमि भी है, जहां से स्वतंत्रता की प्रेरणा निकली थी।
आगामी अधिवेशन में राष्ट्रीय और प्रादेशिक मुद्दों पर प्रस्ताव
बैठक के बाद हुई प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई कि बुधवार को कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होगा, जिसमें दो प्रमुख प्रस्तावों पर चर्चा होगी। पहला प्रस्ताव देश की मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को लेकर होगा, जबकि दूसरा गुजरात की विशेष राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित रहेगा। इन प्रस्तावों के माध्यम से कांग्रेस देश को यह संदेश देना चाहती है कि वह केवल विपक्षी भूमिका में नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक और सशक्त राजनीतिक मार्गदर्शक के रूप में तैयार है। पार्टी सामाजिक न्याय की अवधारणा को राजनीतिक कार्यक्रम में परिवर्तित करने की दिशा में अग्रसर होगी।
वरिष्ठ नेतृत्व की एकजुटता और विचारों का संगम
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अपने अंदरूनी मतभेदों को किनारे रखकर एकजुटता की दिशा में बढ़ रही है। सभी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि भारत के समक्ष जो चुनौतियाँ हैं – जैसे बढ़ती बेरोज़गारी, सामाजिक विभाजन, संवैधानिक संस्थाओं का क्षरण – उनके समाधान के लिए एक व्यापक और नैतिक दृष्टिकोण की ज़रूरत है, जो केवल कांग्रेस दे सकती है। इस एकजुटता का संदेश देशभर के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।
संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में ठोस प्रयास
सचिन पायलट ने अपने संबोधन में बताया कि वर्ष 2025 को संगठन समर्पित वर्ष घोषित किया गया है। इसका तात्पर्य है कि कांग्रेस बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन को मजबूत करने के अभियान में जुट जाएगी। यह निर्णय कांग्रेस के लिए केवल रणनीतिक नहीं बल्कि अस्तित्व से जुड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि एक मज़बूत संगठन ही किसी विचारधारा को जन-जन तक पहुँचा सकता है और पार्टी का यह अभियान पूरे देश में पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का माध्यम बनेगा। पायलट ने यह भी कहा कि संगठनात्मक मजबूती के बिना कोई भी वैचारिक लड़ाई नहीं जीती जा सकती।
मीडिया और प्रचार में नई रणनीति की ज़रूरत पर बल
पवन खेड़ा ने बताया कि आज के दौर में संचार ही सबसे बड़ा अस्त्र है और कांग्रेस इसके माध्यम से जनता तक सीधे संवाद की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि भ्रामक प्रचार, झूठे नैरेटिव और विकृत इतिहास को चुनौती देने के लिए एक संगठित और प्रभावशाली संचार रणनीति बनाई जा रही है। इसके लिए पार्टी डिजिटल माध्यमों, ग्राउंड रिपोर्टिंग और स्थानीय संवादों को प्राथमिकता देगी। उनका कहना था कि कांग्रेस अब यह समझ चुकी है कि केवल नीतियाँ बनाना काफी नहीं, उन्हें आम जनता तक सही रूप में पहुँचाना और उनकी भावनाओं को समझना भी उतना ही आवश्यक है।
वैकल्पिक आर्थिक और सामाजिक मॉडल की दिशा में पहल
गौरव गोगोई ने कहा कि इस बैठक से एक नई आर्थिक और सामाजिक सोच उभरकर सामने आई है। उन्होंने कहा कि जब देश की अधिकांश जनता महंगाई, बेरोज़गारी और असमानता से जूझ रही हो, तब विपक्ष की ज़िम्मेदारी केवल आलोचना करने तक सीमित नहीं रह सकती। कांग्रेस अब एक ऐसा वैकल्पिक आर्थिक मॉडल तैयार करने की दिशा में काम करेगी, जिसमें संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण, श्रम का सम्मान और अवसरों की समानता को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आने वाले अधिवेशनों में इन मुद्दों को लेकर ठोस नीति प्रस्ताव पेश किए जाएंगे।
पटेल और नेहरू को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर करारा जवाब
बैठक में विशेष रूप से इस बात पर चर्चा हुई कि सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू के रिश्तों को लेकर जो भ्रांतियाँ फैलाई जा रही हैं, उनका खंडन किया जाए। जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि यह दोनों नेता आधुनिक भारत की नींव के स्तंभ थे और इन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इतिहास के साथ छेड़छाड़ के विरुद्ध एक वैचारिक अभियान चलाएगी और सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करेगी, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ ऐतिहासिक तथ्यों से परिचित रहें। यह अभियान केवल नेताओं की छवि की रक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना की रक्षा के लिए आवश्यक है।