
गोवंश संरक्षण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम
अमृत धारा योजना के तहत 10 गाय पालने पर 10 लाख तक का आसान ऋण
प्राकृतिक खेती से सुधरेगी जन, जल और जमीन की सेहत
कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर किसानों की आमदनी दोगुनी करने की योजना
लखनऊ, 2 मार्च – उत्तर प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोवंश को कृषि का आधार बना रही है। इस दिशा में छुट्टा गोवंश के संरक्षण से लेकर किसानों को गोवंश आधारित खेती के लिए आर्थिक सहायता देने तक कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। हाल ही में प्रस्तुत राज्य बजट में छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सरकार ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अमृत धारा योजना लागू की है, जिसके तहत दो से दस गाय पालने वाले पशुपालकों को 10 लाख रुपये तक का आसान ऋण मुहैया कराया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत तीन लाख रुपये तक के ऋण के लिए किसी गारंटर की जरूरत नहीं होगी।
प्राकृतिक खेती से सुधरेगी जन, जल और जमीन की सेहत
उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता जन, जल और जमीन की सेहत को सुधारना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचा रहा है और जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इस समस्या का समाधान गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती में है।
गोबर और गोमूत्र को जैविक खाद और कीटनाशक के रूप में प्रसंस्कृत करके किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, और फसलें अधिक पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण होंगी। किसानों को रासायनिक उर्वरकों पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा। गंगा के किनारे बसे गांवों और बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे वहां की भूमि को उपजाऊ बनाया जा सके। योगी सरकार इस मॉडल को स्थायी और टिकाऊ कृषि प्रणाली के रूप में देख रही है। इसके तहत न केवल किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
अमृत धारा योजना: किसानों और पशुपालकों के लिए वरदान
योगी सरकार ने अमृत धारा योजना लागू कर दी है, जो पशुपालन और प्राकृतिक खेती को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस योजना के अंतर्गत दो से दस गाय पालने पर 10 लाख रुपये तक का आसान ऋण मिलेगा। तीन लाख रुपये तक के ऋण पर किसी गारंटर की जरूरत नहीं होगी। पशुपालकों को मनरेगा के तहत कैटल शेड, पशु बाड़ा और गोबर गैस प्लांट लगाने की सुविधा दी जाएगी। गोबर और गोमूत्र से बनने वाले जैविक खाद और कीटनाशकों के उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वहां उत्पादित गोबर और गोमूत्र का व्यावसायिक उपयोग किया जाएगा।
यह योजना छोटे और मध्यम स्तर के किसानों तथा पशुपालकों के लिए एक बड़ा अवसर है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि वे जैविक खेती और पशुपालन से आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।
उत्तर प्रदेश को प्राकृतिक खेती का हब बनाने की रणनीति
उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि प्रदेश को प्राकृतिक खेती का राष्ट्रीय केंद्र बनाया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मॉडल को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। सरकार ने गंगा के तटवर्ती गांवों और बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को विशेष प्राथमिकता दी है। अब इस योजना में अन्य स्थानीय नदियों के किनारे बसे गांवों को भी शामिल किया जा रहा है।
सरकार की योजना है कि प्राकृतिक खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए, ताकि किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सके।
कोरोना के बाद बढ़ी ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद दुनियाभर में लोगों की सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी है। अब उपभोक्ता रसायनमुक्त और जैविक उत्पादों की ओर बढ़ रहे हैं। इस वजह से प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है।
यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार ने भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है। इससे उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
कृषि उत्पादों के निर्यात में उत्तर प्रदेश की जबरदस्त बढ़त
उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण राज्य का निर्यात पिछले सात वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। 2017-18 में उत्तर प्रदेश का कुल निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये था। 2023-24 में यह बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
ऑर्गेनिक और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण यह संभावना है कि उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादों का निर्यात और अधिक बढ़ेगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा।
योगी सरकार के प्रयास: आत्मनिर्भर गौशालाएं और टिकाऊ विकास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोवंश के प्रति प्रेम जगजाहिर है। उनके प्रयासों से निराश्रित गोवंश के लिए सैकड़ों गौशालाएं खोली गई हैं। इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग पर बल दिया है।
गौशालाओं में बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे गोबर गैस का उत्पादन होगा और इससे गांवों में ऊर्जा की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। गोबर से प्राकृतिक खाद और जैविक कीटनाशक बनाए जाएंगे, जिन्हें किसानों को बेचा जाएगा। गोशालाओं के गोबर और गोमूत्र से उत्पाद बनाकर उन्हें बाजार में बेचा जाएगा। इस तरह, योगी सरकार न केवल गोवंश का संरक्षण कर रही है, बल्कि इससे आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित कर रही है।
प्राकृतिक खेती से सशक्त होंगे किसान और प्रदेश
योगी सरकार द्वारा गोवंश संरक्षण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और पशुपालन को सशक्त बनाएंगे।
अमृत धारा योजना, गौशालाओं की आत्मनिर्भरता, प्राकृतिक कृषि उत्पादों का निर्यात और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने से किसानों को लाभ होगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
सरकार का यह प्रयास उत्तर प्रदेश को प्राकृतिक खेती का केंद्र बनाने और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है, जिससे भारतीय कृषि को नए आयाम मिलेंगे और किसान समृद्ध होंगे।