
नई दिल्ली 13 जनवरी। आम आदमी पार्टी (आप) के पटपड़गंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार अवध ओझा की उम्मीदवारी पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का संबंधित क्षेत्र का मतदाता होना अनिवार्य है। हालांकि, अवध ओझा का नाम अभी तक दिल्ली की मतदाता सूची में शामिल नहीं हो पाया है। उनका नाम अभी भी ग्रेटर नोएडा की सूची में है, जिसे समय रहते दिल्ली में स्थानांतरित नहीं किया जा सका।
इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है ताकि अवध ओझा को चुनाव लड़ने से रोका जा सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है।
अवध ओझा, जो पटपड़गंज सीट से आप के उम्मीदवार हैं, पहले ग्रेटर नोएडा के मतदाता थे। उन्होंने 26 दिसंबर को ग्रेटर नोएडा में अपना नाम कटवाने के लिए आवेदन किया। हालांकि, प्रशासनिक प्रक्रिया में देरी के कारण उनका नाम समय पर कट नहीं सका। इसके बाद, उन्होंने 7 जनवरी को दिल्ली में अपने वोट को ट्रांसफर कराने के लिए आवेदन किया।
7 जनवरी को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि भी थी। लेकिन इसके एक दिन बाद, दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से यह घोषणा की गई कि दिल्ली में वोट ट्रांसफर की अंतिम तिथि 6 जनवरी थी। इस बदलाव ने न केवल अवध ओझा की उम्मीदवारी को संकट में डाल दिया है, बल्कि एक बड़े राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है।
इस मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “यह एक साजिश है। पहले यह कहा गया था कि वोट ट्रांसफर करने की अंतिम तिथि 7 जनवरी है। लेकिन अचानक इसे 6 जनवरी कर दिया गया। यह कानून के खिलाफ है और इसका उद्देश्य अवध ओझा को चुनाव लड़ने से रोकना है।”
केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा पटपड़गंज सीट पर आप के मजबूत प्रदर्शन को रोकने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है।
“हमने हमेशा देखा है कि भाजपा अपने विरोधियों को हराने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ करती है। यह फैसला भी उसी कड़ी का हिस्सा है।
अरविंद केजरीवाल ने इस पूरे मामले में चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग का यह कदम निष्पक्षता और पारदर्शिता के मानकों के खिलाफ है।
“चुनाव आयोग का काम निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। लेकिन यहां हम देख रहे हैं कि आयोग के फैसले राजनीतिक दबाव में लिए जा रहे हैं। अगर अवध ओझा ने समय पर आवेदन किया था, तो प्रक्रिया में देरी का खामियाजा उम्मीदवार को क्यों भुगतना चाहिए?” केजरीवाल ने सवाल किया।
भाजपा के खिलाफ अन्य आरोप
केजरीवाल ने भाजपा पर बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाता पंजीकरण कराने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हमने पाया है कि भाजपा के कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने बड़ी संख्या में फर्जी वोट बनवाने के लिए आवेदन किया है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा जानबूझकर दिल्ली की राजनीति में धांधली कर रही है।
पटपड़गंज विधानसभा सीट दिल्ली की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। यह सीट पिछले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के लिए जीत का गढ़ रही है। पटपड़गंज सीट पर पिछले चुनाव में आप ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, और इस बार भी पार्टी ने यहां मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की थी।
अवध ओझा को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने इस सीट को और मजबूत करने की योजना बनाई थी। लेकिन मौजूदा विवाद ने पार्टी की रणनीति को बड़ा झटका दिया है।
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलेंगे। उनका कहना है कि वह आयोग से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करेंगे।
“हम चुनाव आयोग से अपील करेंगे कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी को ठीक करे। अवध ओझा ने समय पर आवेदन किया था, और अगर प्रशासनिक देरी हुई है, तो इसका खामियाजा उन्हें नहीं भुगतना चाहिए।
इस मुद्दे पर भाजपा की ओर से भी बयान सामने आया है। पार्टी के प्रवक्ता ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी हर बार अपने प्रशासनिक मामलों की विफलता को भाजपा पर थोपने की कोशिश करती है।
“अवध ओझा का वोट ट्रांसफर नहीं हो सका, यह उनकी पार्टी और उनके उम्मीदवार की जिम्मेदारी है। इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है,” भाजपा प्रवक्ता ने कहा।
चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि आयोग अपने फैसले पर अडिग है और किसी भी प्रकार की साजिश के आरोपों को सिरे से खारिज करता है।
अवध ओझा का मामला अब चुनाव आयोग के पाले में है। यह देखना बाकी है कि आयोग इस मुद्दे पर क्या फैसला लेता है। अगर आयोग अपने फैसले पर कायम रहता है, तो यह न केवल अवध ओझा के लिए एक बड़ा झटका होगा, बल्कि पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी की स्थिति भी कमजोर हो सकती है।
वहीं, अगर आयोग इस फैसले को बदलता है, तो यह भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक टकराव को और बढ़ा सकता है।
अवध ओझा का यह मामला न केवल दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, बल्कि यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता और राजनीतिक दलों के बीच के आरोप-प्रत्यारोप को भी उजागर करता है। इस विवाद का क्या नतीजा निकलता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन यह तय है कि इस मुद्दे ने पटपड़गंज सीट के चुनाव को और अधिक रोचक बना दिया है।