
फिरोजाबाद, 22 दिसंबर। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह किसानों और आम जनता के वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पुरातात्विक खुदाई जैसे विषयों को प्राथमिकता दे रही है। यह बयान उस समय आया जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बावड़ी की खोज की।
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने इस बावड़ी की पुष्टि करते हुए बताया कि यह संरचना लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसमें संगमरमर से सजे फर्श और चार बड़े कक्ष शामिल हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बनाते हैं। बावड़ी की खोज को स्थानीय प्रशासन ने ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया।
हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस खोज और इसके प्रचार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “यह महज एक चाल है जो भाजपा सरकार किसानों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए कर रही है। पूजा स्थल अधिनियम 1991 इस तरह की खुदाई पर रोक लगाता है, फिर भी सरकार इसे बढ़ावा दे रही है। यह कानून का उल्लंघन है।”
अखिलेश ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार किसान, मजदूर और गरीब तबके के असल मुद्दों को अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे महत्वपूर्ण उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने में विफल रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “खुदाई से रास्ता नहीं निकलेगा। भाजपा सरकार केवल प्रतीकात्मक और अव्यावहारिक कामों में उलझी हुई है, जबकि किसान अपनी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
अखिलेश ने आगे कहा कि मौजूदा सरकार की नीतियों के कारण बिजली और उर्वरकों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे किसानों की लागत में इजाफा हो रहा है। “किसानों को न तो समय पर बीज मिलते हैं, न उर्वरक, और न ही उचित मूल्य पर अपनी फसल बेचने का मौका। ऐसी स्थिति में कृषि एक घाटे का सौदा बन चुकी है,” उन्होंने कहा।
इस पूरे विवाद के बीच एएसआई की बावड़ी खोज ने संभल और आसपास के इलाकों में उत्सुकता पैदा की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संरचना मुगल या उससे भी पहले के समय की हो सकती है। लेकिन सपा प्रमुख का बयान और इस खोज को लेकर उठे राजनीतिक सवालों ने मामले को जटिल बना दिया है
किसानों की मांगें और सरकार की उदासीनता
किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून बनाए। इसके अलावा, वे उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रित करने, कृषि ऋण माफी, और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “भाजपा सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। उनकी प्राथमिकताएं बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने तक सीमित हैं। यह स्थिति न केवल किसानों, बल्कि पूरे देश के लिए घातक है।”
इस आंदोलन ने केंद्र और राज्य सरकारों पर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर किसानों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे, वहीं सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
अखिलेश यादव का समर्थन और भाजपा पर हमला
फिरोजाबाद में अपने बयान के दौरान अखिलेश यादव ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा सरकार उनकी समस्याओं का समाधान निकालने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने और कृषि में लगने वाली लागत को कम करने के लिए सरकार को ठोस नीतियां बनानी चाहिए।
अखिलेश ने पुरातात्विक खुदाई और किसानों के मुद्दे को जोड़ते हुए कहा, “भाजपा सरकार का ध्यान किसानों की समस्याओं पर नहीं है। वे इतिहास में खोई हुई चीजें ढूंढने में व्यस्त हैं, जबकि वर्तमान में किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
आंदोलन के भविष्य पर सवाल
किसानों का यह आंदोलन देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द ही किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और भी बड़े स्तर पर फैल सकता है। वहीं, पुरातात्विक खोज और राजनीतिक विवाद ने किसानों के मुद्दों को और ज्यादा जटिल बना दिया है।
भाजपा सरकार के लिए यह देखना चुनौतीपूर्ण होगा कि वह इन मुद्दों का समाधान कैसे निकालती है। क्या किसानों की मांगें पूरी होंगी, या यह आंदोलन और तीव्र होगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।