
नई दिल्ली 19 दिसंबर। भारतीय राजनीति में एक बार फिर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। संसद के भीतर और बाहर हालिया घटनाओं ने न केवल लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को प्रभावित किया है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच गहराते वैचारिक और व्यक्तिगत मतभेदों को भी उजागर किया है।
घटना का प्रारंभ
यह विवाद गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी से शुरू हुआ, जिसे कांग्रेस ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के अपमान से जोड़कर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन में विरोध मार्च निकालते हुए गृह मंत्री से माफी और इस्तीफे की मांग की। दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे का उपयोग करते हुए उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका में दर्ज मामलों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
भाजपा का पक्ष: राहुल गांधी पर गुंडागर्दी का आरोप
भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने जानबूझकर मकर द्वार पर प्रदर्शन कर रहे भाजपा सांसदों के पास जाकर उकसाने वाले व्यवहार का प्रदर्शन किया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“राहुल गांधी ने गुंडागर्दी की। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से हमारे सांसदों के साथ हाथापाई की, जिससे प्रताप सारंगी गंभीर रूप से घायल हो गए। यह व्यवहार सभ्य समाज के लिए अकल्पनीय है।”
प्रताप सारंगी, जिन्हें इस विवाद के दौरान चोटें आईं, आईसीयू में भर्ती हैं। भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई है और इस मुद्दे पर “उचित कार्रवाई” की बात कही है।
कांग्रेस का पक्ष: अडानी मुद्दे पर चर्चा से बचने की रणनीति
राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए इसे “ध्यान भटकाने की रणनीति” बताया। राहुल गांधी ने कहा कि यह विवाद अमित शाह के “संविधान-विरोधी और आंबेडकर-विरोधी” बयान पर हो रहे विरोध को दबाने के लिए भाजपा का प्रयास है।
“अडानी और अंबेडकर दोनों मुद्दों पर भाजपा चर्चा से भाग रही है। वे डॉ. आंबेडकर का अपमान कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी भारत को अडानी को बेच रहे हैं।”
कांग्रेस ने भाजपा पर “संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को दबाने” का आरोप लगाया और अमित शाह से माफी व इस्तीफे की मांग की।
मकर द्वार पर झड़प और आरोप-प्रत्यारोप
मकर द्वार पर हुई झड़प के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के सांसदों ने एक-दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाया। भाजपा ने दावा किया कि राहुल गांधी ने जानबूझकर भाजपा सांसदों को उकसाया और धक्का-मुक्की की। इसके विपरीत, कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सांसदों ने डंडे लेकर उनका रास्ता रोका और उन्हें संसद में प्रवेश करने से रोका।
विवाद के निहितार्थ और राजनीतिक रणनीतियां
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा अडानी के खिलाफ अमेरिका में दर्ज मामलों पर चर्चा से बचने के लिए आंबेडकर के नाम पर नया विवाद खड़ा कर रही है।
“वे (भाजपा) अंबेडकर जी की यादों और योगदान को मिटाना चाहते हैं। यह उनका असली उद्देश्य है।”
अडानी मामले पर चर्चा से बचना और आंबेडकर के नाम पर भावनाओं को भड़काना, दोनों ही मुद्दों ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है।
भाजपा की रणनीति और कांग्रेस की जवाबी कार्रवाई
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को “अहंकारी” और “झूठा” करार दिया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस केवल अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस प्रकार के हंगामे कर रही है।
“राहुल गांधी का व्यवहार उनके अहंकार को दर्शाता है। वे माफी मांगने के बजाय झूठे आरोप लगा रहे हैं।”
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे भाजपा की “तानाशाही सोच” का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।
राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
इस घटना ने भाजपा और कांग्रेस के बीच की वैचारिक खाई को और गहरा कर दिया है। यह विवाद आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले दोनों पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है। भाजपा जहां इस घटना को कांग्रेस की “अराजकता और असभ्यता” के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे भाजपा की “अडानी को बचाने और संविधान पर हमला करने” की रणनीति के रूप में प्रचारित कर रही है।
जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया
मीडिया और जनता ने इस विवाद पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ इसे भारतीय राजनीति का “नया निम्न स्तर” कह रहे हैं, तो कुछ इसे वैचारिक संघर्ष के रूप में देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच तीखी बहस जारी है।
संसद भवन में हुई इस अप्रिय घटना ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को झकझोर दिया है। अडानी मामले से लेकर आंबेडकर की विरासत तक, यह विवाद कई जटिल मुद्दों को उजागर करता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ता यह टकराव भारतीय राजनीति के भविष्य के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है।
आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस विवाद से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी, या यह केवल आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बनकर रह जाएगा।