
नई दिल्ली, 07 दिसंबर। मणिपुर में चल रही हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर इंडिया गठबंधन के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य में अघोषित राष्ट्रपति शासन लागू है और केंद्र सरकार की लापरवाही ने मणिपुर को खतरनाक स्थिति में पहुंचा दिया है। गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर की अनदेखी और उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री से राज्य का दौरा करने और तत्काल शांति बहाली के उपाय करने की मांग की है।
मणिपुर से आए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने विजय चौक पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद वे प्रधानमंत्री से अपनी मांगें रखने आए हैं। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह और मणिपुर में 10 पार्टियों के संयोजक क्षेत्रीमयुम शांता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि वे मणिपुर का दौरा करें या भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाकर समाधान निकालें।
अघोषित राष्ट्रपति शासन का आरोप
नेताओं ने दावा किया कि मणिपुर में केंद्र सरकार ने पिछले 18 महीनों से लापरवाही बरती है। प्रधानमंत्री ने न तो विपक्षी नेताओं और न ही अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री या मंत्रियों से कोई चर्चा की है। मणिपुर में स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि वहां लगभग 60 हजार लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। राज्य दो समुदायों के बीच पूरी तरह विभाजित हो चुका है, जिससे एक समुदाय के लिए दूसरे के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में जाना असंभव हो गया है।
नेताओं ने कहा कि मणिपुर में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने केंद्र सरकार की उदासीनता की निंदा करते हुए कहा कि मणिपुर के लोग भी भारतीय नागरिक हैं और राज्य को भारत के अन्य हिस्सों की तरह समान प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
आर्थिक संकट और शांति की मांग
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर में बढ़ती महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उनका कहना है कि राज्य के राजमार्ग अवरुद्ध होने से वस्तुओं की आपूर्ति ठप हो गई है। यदि कुछ चीजें उपलब्ध हैं भी, तो उनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की विफलता करार दिया।
महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की किल्लत
नेताओं ने कहा कि देशभर में महंगाई पहले से ही चरम पर है, लेकिन मणिपुर में यह स्थिति और भयावह है। वहां सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो गया है। राजमार्गों के अवरुद्ध होने के कारण आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी है। जिन वस्तुओं की आपूर्ति संभव हो रही है, उनकी कीमतें इतनी अधिक हैं कि आम जनता के लिए उन्हें खरीद पाना असंभव हो गया है।
शांति बहाली का संघर्ष
नेताओं ने मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली की मांग को लेकर अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली तक की तीन हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर वे अपनी आवाज उठाने आए हैं। भले ही जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति नहीं मिली, लेकिन वे केंद्र सरकार का ध्यान मणिपुर के गंभीर हालातों की ओर खींचने की कोशिश करते रहेंगे।
नेताओं ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा करने में असमर्थ हैं, तो कम से कम दिल्ली में भाजपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ बैठक बुलाकर स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार का यह रवैया मणिपुर की समस्याओं को अनदेखा करने का प्रतीक है।
मणिपुर के प्रति असंवेदनशील रवैया
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मणिपुर को दरकिनार कर रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को मणिपुर को एक अलग राज्य की तरह नहीं, बल्कि देश के अभिन्न अंग के रूप में देखना चाहिए। मणिपुर के लोग भी भारत के नागरिक हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर के हालातों को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की। उनका कहना है कि मणिपुर की जनता को शांति, सुरक्षा और समानता का अधिकार मिलना चाहिए।