
नई दिल्ली 22 अक्टूबर। ब्रिक्स (BRICS) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विश्व की प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। ब्रिक्स का नाम इसके पांच सदस्य देशों — ब्राजील (B), रूस (R), भारत (I), चीन (C), और दक्षिण अफ्रीका (S) — के अंग्रेज़ी नामों के पहले अक्षरों से मिलकर बना है। यह संगठन वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ब्रिक्स का विचार वर्ष 2001 में जिम ओ’नील द्वारा प्रस्तावित किया गया था। वे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय परामर्श कंपनी गोल्डमैन सैक्स से जुड़े थे, और उनका शोध इस बात पर केंद्रित था कि कैसे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास का प्रमुख आधार बनेंगी। यह संगठन औपचारिक रूप से 2006 में अस्तित्व में आया, और 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इसमें शामिल किया गया, जिससे ‘ब्रिक्स’ नाम पूर्ण हुआ।
ब्रिक्स की संरचना और सदस्यता
ब्रिक्स की संरचना में पांच प्रमुख देश शामिल हैं: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका। इन सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं उभरती हुई मानी जाती हैं, और वे वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2023 के जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी इस समूह में शामिल किया गया। इस विस्तार से ब्रिक्स अब 10 सदस्यीय समूह बन गया है, जो इसकी वैश्विक ताकत को और बढ़ाता है।
ब्रिक्स की सदस्यता न केवल आर्थिक आधार पर बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखकर भी निर्धारित की जाती है। इस समूह का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक शासन का संतुलन बेहतर ढंग से प्रकट हो, और उभरते हुए देशों की आवाज़ सुनी जा सके।
ब्रिक्स के महत्व को समझना
ब्रिक्स संगठन न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और शासन में भी एक अहम भूमिका निभाता है। यह समूह दुनिया की 43% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, और इसके सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 35% का योगदान करते हैं।
ब्रिक्स का महत्व यह भी है कि यह एक ऐसा मंच है जहां उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं अपनी समस्याओं और चुनौतियों पर विचार-विमर्श कर सकती हैं और सहयोग के नए मार्ग तलाश सकती हैं। यह संगठन वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के लिए एक आवाज़ बन गया है, जो आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, और अन्य वैश्विक मुद्दों पर संतुलित और न्यायसंगत समाधान की दिशा में काम करता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का इतिहास
ब्रिक्स का पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में हुआ था, और तब से लेकर अब तक इस संगठन ने हर साल एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। ये शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के देशों के नेताओं को एक साथ लाने और आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने का मौका प्रदान करते हैं।
प्रत्येक शिखर सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है, जिसमें वैश्विक शासन सुधार, सतत विकास, और आपसी व्यापार और निवेश जैसे विषय शामिल होते हैं। इसके अलावा, विभिन्न वैश्विक संकटों पर भी विचार किया जाता है, जैसे कि कोविड-19 महामारी के दौरान ब्रिक्स ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 की रूपरेखा
2024 में 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस के कज़ान शहर में आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य विषय “न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना” है। यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया विभिन्न मोर्चों पर संघर्ष का सामना कर रही है, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास के बीच जारी संघर्ष प्रमुख हैं।
इस शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताएं होंगी, जिनमें आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही ब्रिक्स के विस्तार के बाद नए सदस्यों के साथ सहयोग को और गहरा करने पर भी जोर दिया जाएगा।
पीएम मोदी की यात्रा और द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य ब्रिक्स देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना है।
कज़ान में पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी संभावित है, जिसमें भारत-चीन सीमा विवाद के समाधान पर चर्चा हो सकती है। हाल ही में भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त शुरू करने का फैसला किया है, जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, पीएम मोदी अन्य ब्रिक्स नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे।
वैश्विक मुद्दों पर BRICS की भूमिका
ब्रिक्स की वैश्विक भूमिका बढ़ती जा रही है, विशेष रूप से जब दुनिया विभिन्न संघर्षों और चुनौतियों का सामना कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष के बीच, ब्रिक्स देशों का वैश्विक शांति और स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
ब्रिक्स हमेशा से ही शांति और संवाद के माध्यम से समस्याओं के समाधान की बात करता रहा है, और 2024 के शिखर सम्मेलन में भी यह प्रमुख विषय रहने की संभावना है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी इस बात पर जोर दिया कि सभी समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से ही संभव है।
BRICS का आर्थिक सहयोग
ब्रिक्स का आर्थिक सहयोग इसके सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इस संगठन ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं को वित्तपोषण प्रदान करना है।
ब्रिक्स ने हाल के वर्षों में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के महत्व पर जोर दिया है, ताकि डॉलर पर निर्भरता कम की जा सके और वैश्विक आर्थिक संतुलन को बनाए रखा जा सके। यह कदम खासकर रूस और चीन जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए वैकल्पिक आर्थिक मॉडल पर काम कर रहे हैं।
BRICS में भारत की भूमिका
भारत ब्रिक्स का एक प्रमुख सदस्य है और इस संगठन के भीतर अपने आर्थिक और राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है। पीएम मोदी ने ब्रिक्स को एक ऐसा मंच बताया है जो वैश्विक संतुलन, विविधता, और बहुलता को बढ़ावा देता है।
भारत का मुख्य फोकस आर्थिक सहयोग का विस्तार, डिजिटल समावेशन, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए स्थायी समाधान ढूंढना है। इसके अलावा, भारत ब्रिक्स के माध्यम से विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने और वैश्विक शासन में सुधार की दिशा में भी काम कर रहा है।
भविष्य में BRICS की दिशा
भविष्य में, ब्रिक्स का विस्तार और अन्य देशों की संभावित सदस्यता इसे और मजबूत बनाएगी। यह संगठन वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और इसके सदस्य देश मिलकर वैश्विक शासन में सुधार की दिशा में काम करेंगे।
जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे मुद्दे आने वाले वर्षों में ब्रिक्स की प्राथमिकताओं में शामिल रहेंगे। इसके साथ ही, न्यू डेवलपमेंट बैंक और राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार जैसे आर्थिक पहलुओं को भी आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक सहयोग और मजबूत हो सकेगा।
ब्रिक्स का 16वां शिखर सम्मेलन वैश्विक स्थिरता, आर्थिक विकास, और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी की भागीदारी और ब्रिक्स के विस्तार के साथ, यह संगठन वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका को और भी मजबूत करेगा।