
(वसिंद्र मिश्र) अपना दल नेता और केंद्रीय स्वाथ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पत्र लिख कर एक नये विवाद को जन्म दे दिया है, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र मे अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर एससी एसटी और ओबीसी के हितों की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए है। पत्र मे आरोप लगाया गया है की इन वर्गों के लिए रिज़र्व पदों पर सामान्य श्रेणी के लोगों का चयन किया जा रहा है,
अनुप्रिया पटेल का पत्र
अनुप्रिया पटेल की इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित वताया जा रहा है। अनुप्रिया अपने खिसकते जनाधार को लेकर परेशान हैं, उनकी पार्टी का इसके पहले एक विभाजन हो चूका है विभाजन से पहले यह मा और दो बहनो की पार्टी मानी जाती थी लेकिन अब पति – पत्नी की पार्टी मानी जा रही है। अनुप्रिया खुद केंद्र मे मंत्री हैं और पति योगी सरकार मे मंत्री हैं अनुप्रिया इस बार केंद्र मे कैबिनेट मंत्री बनना चाह रही थीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चुनाव तो बमुश्किल ब्राह्मण ठाकुर मतदाताओं के सहयोग से जीत पाई हैं
उनको जिताने के लिए ब्रजेश पाठक को वहां कैंप करना पड़ा था,
लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को दबाव मे लेने की कोशिस की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी
बसपा की तरह उन पर भी टिकट के वितरण मे सौदेबाजी के आरोप लगते रहे हैं। वह अपनी पार्टी की टिकट धन्ना सेठो और दागी छबि के लोगों को देती रही हैं।
अनुप्रिया ने अपने पत्र मे योगी आदित्यनाथ की सरकार पर जो आरोप लगाएं हैं उनका सीधा सम्वन्ध राजभवन और चयन आयोग से हैं इसलिये उनके पत्र को राजनैतिक ज्यादा मना जा रहा है
वैसे वही गठबंधन मे रहते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ सार्वजानिक तौर पर आरोप लगाना गठबंधन धर्म के खिलाफ है वह भी उस गठबंधन का जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैँ
यह अटल – अडवाणी जी के दौर का न तो राजनीति है और न गठबंधन।
यह गठबंधन उसी तरह से चल रहा हैँ जैसे दो गुटों मे विवाद के बाद निपटारे मे एक गुट कहता हैँ “पंचो की राय सर माथे पर : लेकिन खुटा वही रहेगा जहा हमने गाड़ा हैं“।
अब देखना हैँ मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ अनुप्रिया के इस पत्र पर किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैँ.