
लखनऊ, 15 जून। उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की सुदृढ़ता को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते आठ वर्षों में जो कार्य किया है, वह न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनुकरणीय है बल्कि राज्य को विकास, निवेश और सामाजिक समरसता की नई परिभाषा की ओर ले जाने वाला कदम भी है। रविवार को मिशन रोजगार के अंतर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक साथ 60,244 आरक्षियों को नियुक्ति पत्र प्रदान करना न सिर्फ एक प्रशासनिक आयोजन था, बल्कि उत्तर प्रदेश की बदलती तस्वीर का प्रमाण भी था। यह आयोजन उस समग्र नीति का हिस्सा है जिसमें योगी सरकार ने ‘सशक्त उत्तर प्रदेश, सुरक्षित उत्तर प्रदेश’ की अवधारणा को जमीनी रूप दिया है।
वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल अपराध के विरुद्ध एक निर्णायक रुख अपनाया, बल्कि पुलिस बल को हर दृष्टिकोण से आधुनिक, समर्थ और जनोन्मुखी बनाने का क्रम भी शुरू किया। परिणामस्वरूप, पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश में कुल 2.16 लाख पुलिसकर्मियों की सीधी भर्ती की गई है, जिससे राज्य का पुलिस बल देश में सबसे विशाल और व्यवस्थित बलों में एक बन गया है। इसमें 27178 महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति और 500 उत्कृष्ट खिलाड़ियों को पुलिस सेवा में शामिल करना राज्य सरकार की विविधता और समावेशन की नीति को दर्शाता है। महिला सुरक्षा, बालिकाओं की सुविधा और सामाजिक अपराधों पर त्वरित कार्रवाई को ध्यान में रखते हुए 1595 महिला हेल्प डेस्क, 75 महिला थानों, और 78 महिला परामर्श केंद्रों की स्थापना की गई है, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
योगी सरकार के पुलिस सुधारों में एक विशेष दृष्टिकोण फॉरेंसिक और साइबर अपराध नियंत्रण को लेकर भी देखा गया है। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने में उत्तर प्रदेश अग्रणी बना है। लखनऊ स्थित फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान के साथ-साथ 2017 के पश्चात आठ नई विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना हुई है जबकि छह अन्य का निर्माण कार्य प्रगति पर है। साइबर अपराध की चुनौती को देखते हुए 75 साइबर क्राइम थाने, 131 नए जनपदीय थाने, और 82 फायर स्टेशन स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में एटीएस, एसटीएफ, एसएसएफ और एसडीआरएफ जैसे विशेष बलों की क्षमताओं को सुदृढ़ किया गया है। सेफ सिटी परियोजना के अंतर्गत राज्य के प्रमुख नगरों में लाखों सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं, जिससे अपराध पर निगरानी रखने में उल्लेखनीय सफलता मिली है। 112, 1090, 1098 जैसे हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से लाखों नागरिकों को संकट के समय तत्काल सहायता प्राप्त हो रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस सुधारों को सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास से भी जोड़ा है। सरकार के मिशन रोजगार अभियान के तहत 8 वर्षों में 8.5 लाख युवाओं को पारदर्शी प्रक्रिया से सरकारी नौकरी दी गई है। इसके अतिरिक्त 3.75 लाख संविदा नौकरियां, और निजी क्षेत्र व एमएसएमई के माध्यम से 2 करोड़ से अधिक रोजगार उत्पन्न किए गए हैं। यह परिदृश्य राज्य में युवाओं को सम्मानजनक आजीविका, आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश पुलिस बल को जब आधुनिक सुविधाओं, प्रशिक्षण और तकनीकी संसाधनों से लैस किया गया, तो स्वाभाविक रूप से उसकी कार्यक्षमता में भी अभूतपूर्व सुधार हुआ। यही कारण है कि आज उत्तर प्रदेश पुलिस का उल्लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उदाहरण के रूप में होता है। यह वही राज्य है जिसे कभी दंगों, अराजकता और अपराधों की भूमि माना जाता था। परंतु योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आज यही राज्य दंगामुक्त, अपराधमुक्त और निवेशयुक्त उत्तर प्रदेश में बदल चुका है।
अंततः योगी सरकार की यह समग्र रणनीति—जिसमें पुलिस बल को मजबूत करना, युवाओं को रोजगार देना, महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देना और विधि व्यवस्था को तकनीक से जोड़ना शामिल है—राज्य को न केवल आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से सशक्त बना रही है बल्कि निवेश, पर्यटन और सामाजिक विश्वास के लिए भी नया मार्ग खोल रही है। वीरांगना ऊदा देवी (लखनऊ), अवंतीबाई (बदायूं), और झलकारी बाई (गोरखपुर) महिला पीएसी बटालियनों की स्थापना हो या महिला बीट का समर्पित आवंटन—यह सभी कदम दर्शाते हैं कि योगी सरकार सुरक्षा के मोर्चे पर ‘मजबूत इरादों और पारदर्शी क्रियान्वयन’ की नीति पर कायम है। आने वाले वर्षों में इन सुधारों का विस्तार उत्तर प्रदेश को केवल देश ही नहीं, वैश्विक मंच पर भी सुरक्षित, सक्षम और सशक्त राज्य के रूप में स्थापित करेगा।